AAP Rajya Sabha MP Swati Maliwal: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तीन चरणों का मतदान अभी होना है. उससे पहले आम आदमी पार्टी (आप) मुश्किल में फंसती नजर आ रही है. अरविंद केजरीवाल को चुनाव में प्रचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत देकर थोड़ी राहत तो दी लेकिन उनके तिहाड़ जेल से निकलने के एक हफ्ते में ही पार्टी के लिए नई मुसीबत खड़ी हो गई. आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने अरविंद केजरीवाल के पीए विभव कुमार पर मारपीट का आरोप लगाया, जिसके बाद विभव कुमार के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी.


अब ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि क्या स्वाति मालीवाल पर पार्टी कोई एक्शन ले सकती है? क्या उनकी राज्यसभा सदस्यता जा सकती है? अगर आम आदमी पार्टी स्वाति मालीवाल के खिलाफ एक्शन लेती है तो उनकी संसद सदस्यता कैसे खत्म हो सकती है? आइए इन्ही बिन्दुओं पर एक नजर डालते हैं.


क्या चली जाएगी स्वाति मालीवाल की सांसदी?


एक सांसद की संसद सदस्यता दो परिस्थितियों में खत्म हो सकती है- पहली तो ये कि कोई सांसद अपनी इच्छा से ही अपने पद से इस्तीफा दे. यानि कि वो स्वेच्छा सदस्यता छोड़ दे और दूसरी ये कि अगर कोई सांसद पार्टी की इच्छा के विपरीत जाकर सदन में वोटिंग कर दे. इन दो परिस्थियों में किसी भी सांसद की सदस्यता जा सकती है.


किन परिस्थितियों में सांसद बनी रहेंगी स्वाति मालीवाल


मान लेते हैं कि आम आदमी पार्टी स्वाति मालीवाल के खिलाफ एक्शन लेकर उन्हें पार्टी से निष्कासित कर देती है तो ऐसी स्थिति में स्वाति मालीवाल संसद की सदस्य बनी रहेंगी. हालांकि राज्यसभा में वोटिंग के दौरान उन्हें पार्टी के निर्देशों का पालन करना पड़ेगा. भारत में दल-बदल विरोधी कानून उन सांसदों को भी अयोग्य ठहराता है जो एक निश्चित पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में चुने जाने के बाद किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल हो जाते हैं. संसद का सदस्य होना और किसी पार्टी का सदस्य होना दो अलग-अलग बातें हैं.


किसी दूसरी राजनीति पार्टी में शामिल होने से पहले देना होगा इस्तीफा


अगर किसी सांसद का कार्यकाल बचा हुआ है और दूसरे राजनीतिक दल में शामिल होना चाहता है तो ऐसे में उसे पहले अपनी सांसदी से इस्तीफा देना होगा. कहने का मतलब ये है कि अगर स्वाति मालीवाल को आम आदमी पार्टी निष्कासित भी कर देती है तो भी वो चाह कर भी किसी दूसरे राजनीतिक दल में शामिल नहीं हो सकतीं, इसके लिए उन्हें अपनी राज्यसभा की सांसदी छोड़नी होगी.


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