Diwali Sweets: दिवाली पर लोग एक-दूसरे को मिठाई बांटकर प्यार जताते हैं. त्योहारों के वक्त मिठाइयों की खपत बढ़ जाती है. मिलावट का खतरा भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. ऐसे में मिठाइयों की पड़ताल करना जरुरी है. यह जानना जरूरी है कि कहीं जो मिठाइयां खुशियों के नाम पर थाली में परोसी जा रही है उसमें जहर तो नहीं? क्या वह मिठाईयां स्वास्थ्य के लिए सही है? क्या वो आपको खानी चाहिए?


राजधानी दिल्ली की मिठाई दुकान


सेंट्रल दिल्ली मंडी हाउस में मौजूद बंगाली स्वीट मार्केट के बाहर की मिठाइयां बहुत प्रसिद्ध है. वहां के मावे की मिठाई खासी मशहूर है. इस तरह की मिठाई स्वस्थ के लिए सही है. लक्ष्मी नगर के बहुत ही प्रसिद्ध गणेश कॉर्नर जहां की मिठाइयां बहुत फेमस होती है. वहां भी लोगों की काफी भीड़ रहती है.


कस्टमर करते है यकीन      


कई कस्टमर दुकान के पुराने ग्राहक भी होते है, जो अधिकतर एक जगह से मिठाई लेते है. उन्हें यकीन होता है कि दुकानदार मिलावटी चीजें नहीं रखते. शुद्ध देसी घी का प्रयोग होता है. इसी पर एक दुकान के मलिक का कहना है "हमारी दुकान बहुत पुरानी है 40 सालों का बिजनेस है. हम अपने ग्राहकों के साथ खिलवाड़ नहीं करते हैं. उन्हें यकीन रहता है अपने सामान पर. इसमें कोई बिल्कुल मिलावट नहीं है. शुद्ध सामान का प्रयोग करते हैं इसलिए बिजनेस इतना चलता है".


मिठाई दुकान के मालिकों का दावा


सभी मिठाई दुकान के मालिकों ने इस बात का दावा किया कि उनकी मिठाईयां शुद्ध है. बिना मिलावट की है. वहां जो ग्राहक है उन्होंने भी दुकान के प्रति बहुत भरोसा जताया. ऐसे में ये भी जरुरी हो जाता है कि जो भरोसा दुकानदारों ने और ग्राहक किसी दुकान के प्रति बताते है, क्या वे सही है क्या वाकई उन दुकान के मालिकों ने शुद्ध सामान का उपयोग किया है? क्या बिना मिलावट के सामान जनता तक पहुंचाया जा रहा है?


मिठाई को किया जाता है चेक


मिठाईयों को चेक करने के लिए उन्हें केमिकल लैब में ले जाया जाता है. वहां देखा जाता है कि जो मिठाइयां लाई जाती है क्या वो शुद्ध होती या मिलावटी. मिठाई में स्टार्च देखा जाता है. जिस मिठाई में मिलावट होती है, वो पूरी तरह से काली हो जाती है. उस तरह के मिठाई में स्टार्च के नाम पर बाहरी सामान मिलाया जाता है. जिनसे मिठाइयों का रंग केमिकल के मिलने से काला हो जाता है.


मिठाई चेक करने वालों का बयान


मिठाई चेक करने वालों ने बताया कि मिठाई में स्टार्च मिलाया जाता है. कम समय की वजह से मिठाई को स्टार्ट टेस्ट किया जाता है. जिसमें अरारोट हो सकता है, जो की सेहत के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है. जो किडनी और लिवर पेशेंट के लिए तो बहुत ज्यादा हानिकारक है.


आटा या कुछ और मिलाया जाता है तो  कम हानिकारक होता है.  कई बार मिठाइयों में फॉर्मलीन (Formuline)  भी मिलाया जाता है और डिटर्जेंट भी मिलाया जाता है.जो मिठाइयों को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए और उन्हें और स्वादिष्ट बनाए जाने के लिए किया जाता है.


हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह


शीनू संजीव चौकी जो हेल्थ एक्सपर्ट है. इनका कहना है कि जो मिठाईयां दिवाली के वक्त या त्योहारों के वक्त बाजार में बिकती है, उनमें बहुत ज्यादा मिलावट होता है. स्टार्च की मात्रा मिलाई जाती है जो कि किडनी और लीवर के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है.


ऐसी महिलाएं जो बच्चे को जन्म देने वाली है उनका बच्चा लंगड़ा, लूला पैदा हो सकता है. इस से मां की जान को भी खतरा हो सकता है. ऐसी मिठाइयों बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए भी बहुत खतरनाक हो सकता है.


मिठाई में फॉर्मलीन का भी प्रयोग होता है


कई बार मिठाई में फॉर्मलीन का भी प्रयोग होता है. फॉर्मलीन जो आमतौर पर लाशों को लंबे समय तक प्रिजर्व रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में मिठाइयों में इस तरीके का केमिकल का प्रयोग करना बहुत ज्यादा हानिकारक है और यह जानलेवा है.


बच्चे बूढ़े और गर्भवती महिलाओं के लिए यह बहुत ज्यादा हानिकारक है. यह उनकी जान तक ले सकता है. एक्सपोर्ट ये सलाह देती है कि बाहर की मिठाइयां कम से कम खाए. मिठाई घर में बनाने की कोशिश करें. त्यौहार में ड्राई फ्रूट्स बांटे.


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