जयपुर: राजस्थान में स्वाइन फ्लू से पीड़ित तीन और लोगों की शनिवार को मौत होने के साथ इस साल इस रोग से मरने वालों की संख्या बढ़ कर 70 हो गयी है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार स्वाइन फ्लू के चलते शुक्रवार को पांच और शनिवार को तीन रोगियों की मौत हो गयी. इस साल एक जनवरी से अब तक स्वाइन फ्लू से राज्य में 70 मौतें हो चुकी हैं.
इस बीच राज्य भर में 84 और रोगियों में इस रोग की पुष्टि हुई है. इनमें जयपुर में 37, उदयपुर में 12, जोधपुर में 10 और बीकानेर में चार रोगी शामिल हैं. राज्य में अब तक कुल 1787 लोगों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को यहां चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा, विभाग के आला अधिकारियों तथा पुणे स्थित नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की टीम के साथ हालात की समीक्षा की थी.
मौसमी इन्फ्लुएंजा या स्वाइन फ्लू
एच1एन1 (H1N1) मौसमी इन्फ्लुएंजा एक प्रकार का स्वंय-सीमित वायरल रोग है यह श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है. यह कण हवा के जरिए या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं. मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल पहले किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा किया गया हो.
लक्षण:
बुख़ार और खांसी, गला ख़राब, नाक बहना या बंद होना, सांस लेने में तकलीफ़ एवं अन्य लक्षण जैसे बदन दर्द, सिर दर्द, थकान, ठिठुरन, दस्त, उल्टी, बलगम में खून आना इत्यादि भी हो सकते हैं.
माइल्ड स्वाइन फ़्लू के लक्षण (केटेगरी-A)
- बुखार, खांसी, सर्दी, शरीर में दर्द होना व थकान महसूस होना.
- माइल्ड स्वाइन फ़्लू का इलाज लक्षणों पर आधारित होता है. ऐसे लक्षणों में टेमीफ्लू दवा लेने की या जांच की जरूरत नहीं होती.
मॉडरेट स्वाइन फ़्लू के लक्षण (केटेगरी-B)
इस श्रेणी के मरीजों में माइल्ड स्वाइन फ्लू के लक्षणों के अतिरिक्त तेज बुखार और गले में तेज दर्द होता है या मरीज में माइल्ड स्वाइन फ्लू के लक्षणों के साथ, निम्नलिखित हाई रिस्क कंडीशन है तो रोगी को स्वाइन फ्लू की दवा टैमीफ्लू दी जाती है.
गंभीर स्वाइन फ़्लू के लक्षण (केटेगरी-C)
- इस श्रेणी के लोगों में स्वाइन फ्लू के ऊपर लिखे लक्षणों के अतिरिक्त निम्नलिखित गंभीर लक्षण भी पाए जाते हैं:
- सांस लेने में दिक्कत
- छाती में तेज दर्द
- गफलत में जाना
- ब्लड प्रेशर कम होना
- बलगम में खून आना
- नाखून नीले पड़ जाना
इस श्रेणी से संबंधित सभी रोगियों को अस्पताल में भर्ती करना चाहिये व रोगी को अलग से रखा जाता है, रोगी को स्वाइन फ्लू की दवा टैमीफ्लू दी जाती है और जांच भी जरूरी है.
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