अब चर्च ने उठाई समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के खिलाफ आवाज, कहा- ये अन्याय है
Same Sex Marriage: सेम सेक्स मैरिज को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मैराथन सुनवाई जारी है. सुप्रीम कोर्ट में सरकार और याचिकाकर्ताओं की तरफ से अपनी-अपनी दलीलें दी जा रही हैं.
Syro Malabar Church on Same Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट में इनदिनों समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है. इसी वजह से देश में समलैंगिक विवाह का मुद्दा चर्चाओं में है. अब केरल के एक प्रभावशाली कैथोलिक सिरो-मालाबार चर्च ने भी सेम सेक्स मैरिज पर मांगी गई कानूनी मान्यता का विरोध किया है. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के रुख की सराहना करते हुए सिरो-मालाबार चर्च ने कहा कि ऐसे रिश्तों को कानूनी मान्यता देना अप्राकृतिक और परिवार व्यवस्था के साथ अन्याय है.
चर्च ने कहा कि "समान-लिंग विवाह पुरुषों और महिलाओं के बीच प्राकृतिक संबंधों में पैदा होने और बढ़ने के बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है. समलैंगिक विवाह को वैध बनाने से बच्चों के प्रति आकर्षण, जानवरों के प्रति आकर्षण, रक्त संबंधों के बीच आकर्षण जैसी यौन मांगों को वैध बनाने की मांग को बढ़ावा मिलेगा."
'सेम सेक्स मैरिज समाज के साथ अन्याय'
चर्च ने केंद्र के इस रुख का समर्थन करते हुए कहा कि विवाह विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों के बीच का संबंध है और इसमें एक पुरुष और महिला का शामिल होना जरूरी है. सेम सेक्स मैरिज एक पुरुष और एक महिला के बीच संबंधों के प्राकृतिक क्रम की उपेक्षा है. यह परिवार की अवधारणा और नागरिक समाज के साथ भी अन्याय है.
सुप्रीम कोर्ट में मैराथन सुनवाई जारी
अपने बयान में चर्च ने यह भी स्पष्ट किया कि हालांकि उसका यौन अल्पसंख्यकों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया है, लेकिन उसका मजबूत रुख यह है कि विवाह पुरुषों और महिलाओं के बीच का संबंध है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच-जजों की संविधान पीठ समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. मामले में सुनवाई 9 मई तक जारी रहेगी.
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