दिल्ली की एक अदालत ने निजामुद्दीन मरकज में शामिल हुए तब्लीगी जमात से जुड़े 82 बांग्लादेशी नागरिकों को आज जमानत दे दी. इन सभी लोगों को दस-दस हजार रुपए के निजी मुचलका भरने के बाद जमानत दी गई है. इस मामले पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई. ये सभी नागरिक मार्च में हुई जमात में शामिल होने के लिए निजामुद्दीन आए थे. इन सभी कोरोना वायरस संक्रमण फैलाने का आरोप लगा था.
इसके साथ ही इन विदेशी नागरिकों पर गैर-कानूनी और गतिविधियां और सरकार के दिशा-निर्देश जारी किए हैं. चीफ मेट्रोपोलिटन मिजस्ट्रेड गुरमोहिना कौर ने इस मामले पर सुनवाई की और 10 हजार रुपए के निजी मुचकले पर जमानत दी. सभी आरोपियों को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया. वकील अशिमा मंडवल और मंदाकिनी सिंह ने कहा कि ये सभी आरोपी शुक्रवार को अपनी बार्गेंनिंग याचिका दायर करेंगे. इस याचिका के तहत आरोपियों के कम से कम शिकायत करने की अपील करेंगे.
बता दें कि बार्गेंनिंग याचिका के तहत उन मामलों के लिए दलील देने की अनुमति देती है, जहां अधिकतम सजा सात साल की कैद है, जहां अपराध समाज की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को प्रभावित नहीं करते हैं और जब अपराध 14 साल से कम उम्र की महिला या बच्चे के खिलाफ नहीं होते हैं.
इससे पहले, दिल्ली पुलिस के एक आला अधिकारी ने बताया था कि जमात में सऊदी अरब, चीन, अमेरिका, यूक्रेन, फिलीपींस, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, अफगानिस्तान, रूस, मोरक्को, फ्रांस, इजिप्ट, मलेशिया, ट्यूनीशिया और जॉर्डन के नागरिक शामिल हुए थे. इन सभी के खिलाफ विदेशी अधिनियम एक्ट के तहत चार्जशीट दाखिल की गई थी. इन सभी पर वीजा शर्तों के उल्लंघन का आरोप है. यह सारे नागरिक तब्लीगी मरकज की जमात में शामिल होने के लिए भारत आए थे.
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