नई दिल्ली: लगभग 3000 विदेशी जमाती अभी अपने देश वापस नहीं लौट सकते. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि इन लोगों के खिलाफ भारतीय कानूनों के उल्लंघन के लिए 11 राज्यों में मुकदमा दर्ज हैं. इन मुकदमों के लंबित रहते उन्हें वापस नहीं जाने दिया जा सकता.


कई धाराओं में मुकदमे दर्ज
मार्च में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तब्लीग के कार्यक्रम में शामिल हुए इन विदेशी जमातियों में से कई भारत के अलग-अलग हिस्सों में धर्म प्रचार के लिए पहुंच गए. देश के कई शहरों में इनकी वजह से कोरोना फैला. तब इनकी गतिविधियां सरकार की जानकारी में आईं. अब इनके ऊपर वीजा नियमों के उल्लंघन से लेकर नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट और महामारी एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है. केंद्र सरकार ने न सिर्फ इन लोगों का वीजा रद्द कर दिया है, बल्कि भविष्य में उन्हें भारत आने के लिए ब्लैकलिस्ट भी किया है.


SC में सरकार का जवाब
इसके खिलाफ विदेशी जमातियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अपना वीजा रद्द किए जाने और खुद को ब्लैकलिस्ट किए जाने को चुनौती दी. साथ ही, यह भी कहा कि उन्हें वापस लौटने से रोकना गलत है.


इन याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में खुद के ऊपर हुई कार्रवाई के प्रमाण के तौर पर सिर्फ केंद्र सरकार का एक प्रेस रिलीज लगाया था. इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि सभी मामलों के लिए अलग-अलग आदेश क्यों नहीं जारी किया गया है? आज केंद्र सरकार ने बताया कि सबके लिए अलग-अलग आदेश जारी कर दिए गए हैं. जिन लोगों ने ई-वीजा लिया था, उन्हें ईमेल के जरिए जानकारी दी गई है. लेकिन जो लोग नियमित वीज़ा लेकर आए थे, उन तक आदेश पहुंचाया जा रहा है.


वीज़ा नियमों का उल्लंघन
केंद्र सरकार के हलफनामे में यह बताया गया है कि भारतीय वीजा नियमों के तहत विदेशियों को वीज़ा मांगते वक्त यहां आने की वजह बतानी होती है. अगर वह यहां तब्लीग से जुड़ी गतिविधि में श.इल होना चाहते हैं तो इसके लिए गृह मंत्रालय की अनुमति लेनी होती है. लेकिन यह सभी लोग पर्यटक वीजा लेकर भारत आए. भारत आने का उद्देश्य घूमना बताया, पर तब्लीग से जुड़ी गतिविधियों में शामिल हो गए. इसी वजह से 2679 लोगों का वीजा रद्द किया गया है, 2765 लोगों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है. अलग-अलग राज्यों में इन लोगों के ऊपर कुल 205 FIR दर्ज हुई है. अभी इनको लौटने की इजाज़त नहीं दी जा सकती.


‘कोर्ट सुनवाई नहीं कर सकता’


केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया है कि किसी को वीज़ा देना या न देना, उसको वीजा के लिए अयोग्य करार देना और उसे मिल चुके वीजा को रद्द कर देना, किसी भी देश की सरकार का संप्रभु अधिकार होता है. ऐसे मामलों को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. इसलिए, सुप्रीम कोर्ट को इन तमाम याचिकाओं को खारिज कर देना चाहिए.


सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर अलग-अलग राज्यों में लंबित मुकदमों के चलते विदेशी जमाती वापस नहीं लौट पा रहे हैं, तो उन्हें उसके लिए वहां की हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए. विदेशी जमतियों के लिए पेश वकील सलमान खुर्शीद और सी यू सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से सरकार के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने की इच्छा जताई. इसे मानते हुए कोर्ट ने फिलहाल सुनवाई 10 जुलाई तक टाल दी है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस दौरान सभी विदेशी जमातियों को उनके बारे में जारी आदेश की कॉपी उपलब्ध कराने की कोशिश की जाए.