सरायकेला: पुलिस ने झारखंड के सरायकेला-खरसावां में तबरेज अंसारी नाम के एक मुस्लिम युवक की मॉब लिंचिंग (भीड हत्या) मामले में सभी 13 आरोपियों के खिलाफ हत्या का आरोप हटा दिया है. एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी. आरोपियों के खिलाफ लगे हत्या के आरोप (आईपीसी की धारा 302) को धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) में तब्दील कर दिया गया है.


सरायकेला खरसावां जिला के पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस ने कहा, ‘‘हमने संबद्ध अधिकारियों की राय लेने के बाद आईपीसी की धारा 302 को 304 में तब्दील कर दिया है. संबद्ध अधिकारी भी तबरेज अंसारी की लिंचिंग(भीड़ हत्या) के चलते मौत होने के बारे में किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाए थे.’’ उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किये गए 13 लोगों में से दो लोगों के खिलाफ चार्जशीट एक स्थानीय कोर्ट में दाखिल किया गया और जल्द ही 11 आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी की जाएगी.


गौरतलब है कि धारा 302 के तहत मौत की सजा या उम्र कैद और जुर्माना का प्रावधान है, वहीं धारा 304 के तहत उम्र कैद या 10 साल की कैद या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. डॉक्टरों ने शुरुआत में दावा किया था कि तबरेज की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई. तबरेज (24) की मौत के सिलसिले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. उसकी (तबरेज की) भीड़ ने चोरी के आरोप में पिटाई की थी.


सोशल मीडिया पर आए इस घटना के वीडियो में अंसारी को एक खंभे से बांध कर पिटाई करते देखा गया. उस पर हमला करने वाले लोग जय श्री राम और जय हनुमान के नारे लगा रहे थे. इस घटना को लेकर देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुए और लोगों में काफी रोष था. 17 जून की रात तबरेज और दो अन्य लोगों पर एक गांव में एक मकान में चोरी के इरादे से घुसने का आरोप लगाया गया. इसके बाद, मकान में रहने वाले लोगों ने शोर मचाया और ग्रामीणों ने तबरेज को पकड़ लिया तथा उसकी पिटाई की.


घटना की सुबह पुलिस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की शिकायत पर तबरेज को जेल ले गई. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि लेकिन चोटों के चलते उसकी तबियत बिगड़ने पर उसी दिन उसे सदर अस्पताल ले जाया गया. बाद में उसे जमशेदपुर के टाटा मेन हॉस्पिटल ले जाया गया. जहां उसे 22 जून को मृत घोषित कर दिया गया. घटना की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया और कर्तव्य में लापरवाही बरतने को लेकर दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया.