ताडोबा टाइगर सफारी बुकिंग घोटाले में ED का बड़ा एक्शन, 13.71 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त
केंद्रीय जांच एजेंसी ने खुलासा किया कि आरोपियों ने घोटाले से कमाए गए पैसों का उपयोग निजी संपत्तियां खरीदने और कुछ कंपनियों के नाम पर संपत्तियां लेने और पुराने कर्ज चुकाने में किया.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (TATR) में ऑनलाइन टाइगर सफारी बुकिंग घोटाले से जुड़े मामले में 13.71 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं. इनमें चंद्रपुर और नागपुर जिलों की कई अचल संपत्तियां और अलग-अलग बैंक खातों में जमा धनराशि शामिल है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की है.
कैसे हुआ ऑनलाइन टाइगर सफारी बुकिंग घोटाला?
केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर अपनी जांच शुरू की थी. इसमें आरोप था कि वाइल्ड कनेक्टिविटी सॉल्यूशंस (WCS) के साझेदार अभिषेक विनोद कुमार ठाकुर और रोहित विनोद कुमार ठाकुर ने ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व संरक्षण फाउंडेशन को वित्तीय गड़बड़ी और हेराफेरी के जरिए धोखा दिया.
ईडी की जांच में ये सामने आया कि WCS को ताडोबा टाइगर रिजर्व में सफारी बुकिंग, प्रवेश शुल्क, जिप्सी चार्ज और गाइड आदि के शुल्क एकत्रित करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन आरोपियों ने समझौते की शर्तों का उल्लंघन कर वर्ष 2020-21 से लेकर 2023-24 के बीच में 16.5 करोड़ रुपये की हेराफेरी की.
ईडी की अब तक की कार्रवाई में क्या हुआ
जनवरी 2025 में प्रवर्तन निदेशालय ने कई जगहों पर छापेमारी कर 1.42 करोड़ रुपये मूल्य के सोने, प्लैटिनम और बुलियन के साथ-साथ कई डिजिटल डिवाइस और दस्तावेज भी जब्त किए थे. केंद्रीय जांच एजेंसी ने खुलासा किया कि आरोपियों ने घोटाले से कमाए गए पैसों (Proceeds of Crime - POC) का उपयोग निजी संपत्तियां खरीदने और कुछ कंपनियों के नाम पर संपत्तियां लेने और पुराने कर्ज चुकाने में किया. अब ईडी ने 13.71 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर ली हैं.
बीते कई सालों से ईडी ऐसे मामलों में तेजी से जांच कर रही है. साल 2025 में ही अब तक कई घोटालों का पर्दाफाश कर चुकी है और आरोपियों की करोड़ों की संपत्ति भी जब्त की जा चुकी है.
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