अमेरिका की एक अदालत ने 2008 में हुए मुंबई हमले के साजिशकर्ता और जेल में बंद तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी है. 16 मई को कैलिफोर्निया के यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की मजिस्ट्रेट जज जैकलीन चूलजियान ने 48 पन्नों के आदेश में लिखा,' राणा उन अपराधों के लिए प्रत्यर्पण योग्य है जिसमें उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया है.'
भारत की तरफ से जून 2020 में राणा के प्रत्यर्पण की मांग की थी. 62 साल का राणा मुंबई हमले का मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली का बचपन का दोस्त है. अदालत की सुनवाई के दौरान अमेरिकी सरकार के वकीलों ने दलील दी कि राणा को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के साथ हेडली की मिलिभगत की जानकारी थी. राणा ने हेडली की मदद की थी.
बता दें कि राणा उन कई लोगों में से एक है जिन्होंने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया था. ये अभी साफ नहीं किया गया है कि राणा को कब तक भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा.
राणा मुंबई हमले का अकेला गुनहगार नहीं है. राणा समेत कई अन्य आतंकवादियों ने दुनिया के चौथे बड़े शहर को घुटनों पर ला दिया था. इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी.
मरने वालों में भारत आए कुछ विदेशी भी थे. सवाल ये है कि राणा के अलावा हमले के बाकी गुनहगार अभी कहां है, उन्हें क्या सजा मिली है. आइये इसे विस्तार से जानते हैं...
1. डेविड कोलमैन हेडली- मुंबई हमले का मुख्य आरोपी डेविड कोलमैन हेडली इस समय संयुक्त राज्य अमेरिका में 35 साल की जेल की सजा काट रहा है. डेविड पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक है. उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के 12 मामलों में दोषी ठहराया गया है.
हेडली ने अमेरिकी पुलिस के सामने 2002 से 2005 के बीच पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के कई प्रशिक्षण शिविरों में भाग लेने की बात स्वीकार कर चुका है. हेडली ने पूछताछ में यह भी खुलासा किया था कि हमले के लिए उसने मुंबई की रेकी की थी.
साल 2006 से 2008 के बीच हेडली ने खुद को अमेरिकी कारोबारी बताकर मुंबई की पांच लंबी यात्राएं कीं और अलग-अलग संभावित ठिकानों के वीडियो टेप बनाकर पाकिस्तान में लश्कर के सदस्यों को सूचना दी. उसने 2009 में दोबारा से भारत के कुछ और शहरों का दौरा किया.
मुंबई हमलों के अलावा हेडली डेनमार्क में भी आतंकी हमले की कोशिश कर चुका है. उसे 2009 में शिकागो के ओ'हारे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था. हेडली कथित तौर पर अमेरिका की ड्रग एनफोर्समेंट एजेंसी का मुखबिर भी था.
2. हाफिज सईद- हाफिज सईद इस्लामी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सह-संस्थापक है. हाफिज सईद ने भी मुंबई हमलों में बड़ा रोल निभाया था. उसे 2008 के बाद से कई बार गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन हमलों के लिए उसे कोई भी सजा नहीं हो पाई, वो हर बार हमलों में शामिल होने से इंकार करके बचता आया था .
2019 में सईद की गिरफ्तारी आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोपों में हुई. पाकिस्तानी अधिकारियों ने सईद को 15 साल के कारावास की सजा सुनाई. 2022 में पाकिस्तान की अदलात ने उसे आतंकवाद के वित्तपोषण के दो और आरोपों में 31 साल की जेल की सजा सुनाई. सईद फिलहाल लाहौर की कोट लखपत जेल में सजा काट रहा है.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के अलग-अलग शहरों में हाफिज मोहम्मद सईद के खिलाफ सात केस दर्ज हैं. अबतक तीन मामलों में ही उसे सजा मिल पाई है.
सईद 2001 में भारतीय संसद पर हमले के अलावा कई आतंकवादी हमलों में भी फंसा हुआ है. सईद एनआईए के मॉस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल है. अमेरिकी सरकार ने सईद पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा गया है. अमेरिका में 9/11 के हमलों के बाद पाकिस्तान सरकार ने उसे कई बार गिरफ्तार किया है. कई बार उसे नजरबंद भी रखा गया.
3. जकी-योर रहमान लखवी- जकी-योर रहमान लखवी को भी मुंबई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड के रूप में जाना जाता है. लखवी वर्तमान में पाकिस्तान में पांच साल की जेल की सजा काट रहा है. 2021 में उसे आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए गिरफ्तार किया गया था.
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, 26/11 हमलों में शामिल बंदूकधारी अजमल कसाब ने पूछताछ में बताया कि वह और उसके साथी हमलावर लखवी के संपर्क में थे. कसाब के इस दावे की पुष्टि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी की. मंत्रालय ने कहा कि लखवी मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड है और उसपर पाकिस्तान में आतंकवादी शिविर चलाने का आरोप लगाया है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक प्रतिबंध समिति ने लखवी पर चेचन्या, बोस्निया, इराक और अफगानिस्तान सहित कई देशों में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है.
जकी-योर रहमान लखवी फिलहाल जेल में है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई हमलों को लेकर उसपर अभी तक कोई मुकदमा नहीं चलाया गया है. अमेरिका ने लखवी की गिरफ्तारी प्रशंसा की थी, साथ ही अमेरिका ने कहा था कि लखवी को 2008 में मुंबई आतंकी हमले सजा भी मिलनी चाहिए.
4. साजिद मीर- लश्कर-ए-तैयबा का मेंबर साजिद मीर एक पाकिस्तानी नागरिक है. उसे भी मंबई हमले का साजिशकर्ता बताया जा चुका है. मीर को साल 2022 में पाकिस्तान की एक अदालत ने आतंकवाद के वित्तपोषण का दोषी ठहराया. उसे 15 साल के कारावास की सजा सुनाई गई. शुरुआत में पाकिस्तान ने मीर के अस्तित्व से ही इनकार किया था. बाद में पाक ने उसके होने की बात मानी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मीर ने ही डेविड हेडली की भर्ती की थी और उसे निगरानी मिशन का काम सौंपा था. बताया जाता है कि उसने हमलों के दौरान भर्ती किए गए आतंकवादियों को प्रशिक्षित करने के लिए ताज होटल और अन्य स्थलों के मॉडल तैयार किए थे. वह कथित तौर पर 2005 में क्रिकेट मैच देखने के बहाने भारत आया था.
2022 में भारत ने मीर का एक ऑडियो टेप जारी किया था. जिसमें वह आतंकवादियों को निर्देश दे रहा था कि "वे जिसे भी देखें उसे गोली मार दें". ऐसे आरोप भी हैं कि मीर पाकिस्तानी सेना में शामिल था.
याद दिला दें कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र में साजिद मीर को 'अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी' घोषित करने का प्रस्ताव लाया था और भारत ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था.
5. अबू हमजा- सैयद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू हमजा को अबू जिंदल के नाम से भी जाना जाता है. हमजा महाराष्ट्र के बीड जिले का रहने वाला है.
उसको महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) की एक विशेष अदालत ने 2016 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मामला 2006 के औरंगाबाद हथियार बरामदगी मामले का था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक हमजा 2000 के दशक की शुरुआत में लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ था. उसने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित शिविरों में प्रशिक्षण लिया था.
मुंबई हमलों के दौरान वह लश्कर प्रमुख हाफिज सईद के साथ कराची के नियंत्रण कक्ष में मौजूद था. वह लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों के हैंडलर के रूप में काम करता था और उनका हिंदी ट्यूटर भी था.
हमजा को 2012 में सऊदी अरब से भारत भेजा जा रहा था, दिल्ली हवाई अड्डे पर ही उसकी गिरफ्तारी हो गई. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उलने कबूलनामे में बताया था कि 2006 में ही मुंबई पर हमले की योजना बना ली गई थी.
भारतीय अधिकारियों ने उसकी गिरफ्तारी को अजमल कसाब के बाद से सबसे महत्वपूर्ण माना था, क्योंकि वह हमलों की योजना बनाने में शामिल था.
मुंबई 26/11 - क्या था?
26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में 166 लोग मारे गए थे. इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में खटास आ गई थी. 26 नवंबर 2008 की शाम भारी हथियारों से लैस 10 आतंकवादी समुद्र के रास्ते मंबई आए थे. सभी अलग-अलग समूहों में बंट गए. गाड़ियों जब्त की, रेलवे स्टेशन को कब्जे में ले लिया, दो लक्जरी होटलों को काबू में लेकर हमला किया, एक यहूदी सांस्कृतिक केंद्र और एक अस्पताल सहित कई ठिकानों पर हमला किया.
60 घंटे की घेराबंदी के दौरान बंदूकधारियों ने पुलिसकर्मियों के एक समूह पर हमला किया. आतंकवादियों ने पुलिस की गाड़ी पर भी हमला किया था . उस गाड़ी में शहर के तीन शीर्ष अधिकारी सवार थे. एके-47 से दो आतंकवादी लगातार पुलिस की गाड़ी पर हमला कर रहे थे. गोलीबारी की चपेट में आने से तीन कांस्टेबल की मौत हो गई थी. पुलिसकर्मी अरुण जाधव बच गए थे.
कामा हॉस्पिटल में हुए हमले के दौरान एंटी टेररिस्ट स्क्वाड के चीफ हेमंत करकरे मारे गए थे. उनके साथ मुंबई पुलिस के अशोक कामटे और विजय सालसकर भी शहीद हो गए थे. कामा हॉस्पिटल हमले में कुल 6 लोग मारे गए थे.
अब राणा के बारे में डिटेल में जानिए
तहव्वुर हुसैन राणा ने पाकिस्तान सेना में डॉक्टर के तौर पर अपने करियर की शुरू की थी. उसने बाद में शिकागो में इमीग्रेशन का बिजनेस शुरू कर दिया. 2009 में उसे पहली बार 26/11 हमलों की साज़िश रचने के आरोप में अमेरिका में गिरफ्तार किया गया.
2009 में अमेरिका ने 26/11 आतंकी हमले में राणा का जुर्म साबित नहीं कर पाया. लेकिन दो बातें स्थापित हो गयी- पहली ये कि राणा ने 2008 में मुंबई हमलों के लिए पाकिस्तान-स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की मदद की. दूसरू कि उसने डेनमार्क में भी हत्या में आंतकवादियों की मदद की. डेनमार्क में हुई इस हत्या में डेनिश अखबार मॉर्गनाविजेन जाइलैंड्स-पॉस्टन के कर्मचारियों के सर कलम करने की एक योजना भी शामिल थी.
साल 2013 में राणा को 14 साल की सजा सुनाई गई. साथ ही लश्कर-ए-तैयबा को मदद पहुंचाने और डेनमार्क आतंकी साजिश में मदद पहुंचाने के आरोप में पांच साल की पर्यवेक्षित रिहाई भी दी गई. अमेरिकी न्याय विभाग के 2013 के एक दस्तावेज से ये जानकारी मिली कि राणा ने 2005 के अंत से लेकर अक्टूबर 2009 तक लश्कर को मटीरियल सपोर्ट पहुंचाया था.