Afghanistan: तालिबान ने आज घोषित किया नेशनल हॉलिडे, अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी की पहली वर्षगांठ पर जश्न
Taliban News: पिछले साल 2021 में तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल (Kabul) पर कब्जा जमा लिया था, इसके बाद 30 अगस्त की आधी रात को अमेरिकी सैनिकों (American Military) ने अफगानिस्तान छोड़ दिया था.
Taliban Declares National Holiday: अफगानिस्तान (Afghanistan) से विदेशी सैनिकों की वापसी की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए तालिबान ने देश में राष्ट्रीय अवकाश (National Holiday) की घोषणा की है. तालिबान (Taliban) ने बुधवार यानी 31 अगस्त को नेशनल हॉलिडे घोषित किया और 20 साल के भीषण जंग के बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी नेतृत्व वाले सैनिकों (US Troops) की वापसी की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए राजधानी काबुल को रंगीन रोशनी से सजाया गया.
पिछले साल 2021 में तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल (Kabul) पर कब्जा जमा लिया था, इसके बाद 30 अगस्त की आधी रात को अमेरिकी सैनिकों (American Military) ने अफगानिस्तान छोड़ दिया था.
तालिबान में आज राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा
अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने की खुशी में पहली वर्षगांठ मनाने के लिए तालिबान ने आज राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की है. अफगानिस्तान में देश के नए शासकों को किसी दूसरे राष्ट्र की ओर से औपचारिक रूप से मान्यता नहीं मिली है. देश की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. गरीबी और भूखमरी की समस्या अभी भी बनी हुई है. महिलाओं पर भी तालिबान ने कई प्रतिबंध लगाए हैं.
आर्थिक और मानवीय संकट बरकरार
अफगानिस्तान में कई प्रतिबंधों और गहराते मानवीय संकट के बावजूद कई अफगानों का ये कहना है कि उन्हें खुशी है कि तालिबान विद्रोह को प्रेरित करने वाली विदेशी ताकत चली गई है. काबुल के रहने वाले जलमई ने कहा कि हमें खुशी है कि अल्लाह ने हमारे देश को काफिरों से छुटकारा दिलाया और इस्लामिक अमीरात की स्थापना हुई.
पिछले साल अगस्त में तालिबान ने किया कब्जा
तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद पिछले साल अगस्त में शुरू हुई सैनिकों की वापसी ने अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर दिया. अमेरिकी सैन्य (US Military) हस्तक्षेप 11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क में हुए हमलों के मद्देनजर शुरू हुआ था. 66,000 अफगान सैनिक और 48,000 नागरिक संघर्ष में मारे गए थे. अमेरिकी सेवा सदस्यों की कुल मिलाकर 2,461 मौत हुई थी, जो अमेरिका के लिए सहन करने से बाहर था. अन्य नाटो (NATO) देशों के 3,500 से अधिक सैनिक भी मारे गए थे.
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