NEET Exam: तमिलनाडु में मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाले राष्ट्रीय प्रवेश और पात्रता परीक्षा (NEET) को रद्द करने मांग वाला बिल विधानसभा से पास हो गया. इसमें 12वीं के मार्क्स के आधार पर दाखिले की बात कही गई है. इस बिल का विधानसभा में विपक्षी पार्टी अन्ना द्रमुक (AIADMK) ने सपोर्ट किया, वहीं बीजेपी ने वॉकआउट किया.
तमिलनाडु विधानसभा में सोमवार को उस छात्र की आत्महत्या का मुद्दा गूंजा जो मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित राष्ट्रीय प्रवेश और पात्रता परीक्षा (नीट) में उपस्थित होने वाला था. प्रमुख विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने सरकार को निशाना बनाया जबकि मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने राज्य में नीट परीक्षा आयोजित नहीं करवाने और मेडिकल पाठ्यक्रमों में कक्षा 12 में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश देने के लिए एक विधेयक पेश किया.
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही, विपक्षी दल के नेता के. पलानीस्वामी ने अपने गृह जिले सलेम में रविवार को आत्महत्या करने वाले 19 वर्षीय छात्र धनुष का मुद्दा उठाया और सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि द्रमुक ने नीट को “रद्द” करने का वादा किया था लेकिन यह नहीं किया गया और बहुत से छात्र इसके लिए तैयार नहीं थे. पलानीस्वामी के कुछ बयानों को विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पवु ने रिकॉर्ड से हटा दिया.
विपक्षी दल के विधायक काला बिल्ला लगा कर आए थे. उन्होंने पलानीस्वामी के नेतृत्व में सदन से बहिर्गमन किया. सलेम के पास एक गांव में रहने वाले धनुष ने रविवार को नीट परीक्षा में उपस्थित होने से कुछ घंटे पहले आत्महत्या कर ली थी क्योंकि उसे परीक्षा में असफल होने का डर था. इस घटना के बाद से अखिल भारतीय अन्ना द्रमुक और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के बीच आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया है. राज्य सरकार का आरोप है कि इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है.
मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु में पहली बार नीट का आयोजन तब किया गया जब पलानीस्वामी मुख्यमंत्री थे और यह उस समय भी नहीं किया गया था जब जयललिता मुख्यमंत्री थीं. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में जिन छात्रों ने भी आत्महत्याएं की वह पलानीस्वामी के मुख्यमंत्री रहते हुई.