Tamil Nadu Politics: तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल आरएन रवि के बीच तनातनी जारी है. सोमवार (10 अप्रैल) को राज्य की विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया गया. ये प्रस्ताव में केंद्र सरकार और राष्ट्रपति से आग्रह किया गया है कि वे विधानसभा में पारित विधेयकों को एक निश्चित अवधि के भीतर स्वीकृति देने के लिए राज्यपाल को निर्देशित करें.
मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के पेश किए गए इस प्रस्ताव को सदन ने पारित किया. इसमें राष्ट्रपति और केंद्र से तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि को समयबद्ध तरीके से राज्य विधानसभा से पारित विधेयकों को अपनी सहमति देने की ‘‘सलाह’’ देने का अनुरोध भी किया गया है. सरकार ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब तमिलनाडु को एनईईटी (राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा) के दायरे से छूट देने और ऑनलाइन जुए पर प्रतिबंध लगाने सहित कई विधेयक राज्यपाल की सहमति के लिए राजभवन में लंबित हैं.
क्या बोले स्टालिन?
स्टालिन ने विधेयक पेश करते हुए राज्यपाल पर निशाना साधा और कहा कि रवि अपनी ‘‘सनक’’ के कारण कुछ विधेयकों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं. साथ ही मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के कहा कि राज्यपाल लोगों के कल्याण के खिलाफ काम कर रहे हैं. विधानसभा में बोलते हुए स्टालिन ने कहा, “ये दूसरा प्रस्ताव है जो मैं राज्यपाल के खिलाफ लेकर आ रहा हूं. सरकारिया आयोग ने कहा था कि राज्यपाल को एक अलग व्यक्ति होना चाहिए.
वहीं, डॉ. अंबेडकर ने कहा है कि राज्यपाल को राज्य के अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों में कहा गया है कि राज्यपाल को एक मार्गदर्शक होना चाहिए लेकिन हमारे राज्यपाल लोगों के मित्र बनने के लिए तैयार नहीं हैं.”
केंद्र सरकार और राष्ट्रपति से किया आग्रह
तमिलनाडु के मंत्री दुरई मुरुगन ने आज राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें केंद्र सरकार और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से आग्रह किया गया कि वे विधानसभा से पारित विधेयकों को एक निश्चित अवधि के भीतर मंजूरी देने के लिए तत्काल तमिलनाडु के राज्यपाल को उचित निर्देश जारी करें. डीएमके प्रमुख स्टालिन ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने सार्वजनिक मंच पर विधेयक की आलोचना की और लोगों के कल्याण के खिलाफ खड़े हैं.
स्टालिन ने कहा कि हम केवल राज्यपाल के कामों की आलोचना कर रहे हैं. अगर विधानसभा की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न होती है तो हम चुप नहीं बैठेंगे. राज्यपाल अपनी इच्छा के अनुसार विधेयक को रोक रहे हैं और गलत जानकारी दे रहे हैं. हम किसी को खुश करने के लिए विधेयक नहीं लाते हैं. डीएमके और उसके गठबंधन सहयोगियों ने दुरई मुरुगन के पारित प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. हालांकि, आईएडीएमके के विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट किया और आरोप लगाया कि उन्हें सदन में बोलने का समय नहीं दिया गया.
ये भी पढ़ें: Hindi Row: एमके स्टालिन ने उठाया CRPF भर्ती परीक्षा का मुद्दा, तमिल भाषा को शामिल नहीं करने पर अमित शाह को लिखा खत