DMK Vs TN Governor RN Ravi: किसी भी गैर बीजेपी राज्य (Non Bjp States) में राज्यपाल या उपराज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री का विवाद कोई नई बात नहीं रही. फिर चाहे वो दिल्ली (Delhi), केरल (Kerala), पुडुचेरी या फिर तमिलनाडु क्यों ना हो. तमिलनाडु (Tamil Nadu) के राज्यपाल के खिलाफ डीएमके (DMK) की लड़ाई हर दिन तूल पकड़ रही है. ताजा मामले में डीएमके ने सभी पार्टियों को एकजुट कर जल्द ही राष्ट्रपति (President) के पास एक ज्ञापन भेजने का फैसला किया है. इसमें डीएमके के सभी सांसदों के हस्ताक्षर किए जाएंगे और राज्यपाल आरएन रवि (Governor RN Ravi) को पद से तत्काल वापस लेने की मांग की जाएगी.


यह तब हुआ जब राज्यपाल ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने कोयंबटूर विस्फोट की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को ट्रांसफर करने में देरी की है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और डीएमके लोकसभा के फ्लोर लीडर टीआर बालू को सांसदों के हस्ताक्षर प्राप्त करने और राष्ट्रपति को जल्द से जल्द ज्ञापन सौंपने का काम दिया गया है. पार्टी सूत्रों ने बताया कि बालू ने मंगलवार (1 अक्टूबर) को द्रमुक के सभी सांसदों और गठबंधन दलों के नेताओं को पत्र लिखकर गुरुवार (3 नवंबर) तक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने का आग्रह किया.


डीएमके ने राज्यपाल के खिलाफ खोला मोर्चा


डीएमके सूत्रों के मुताबिक, ज्ञापन में राज्यपाल रवि को इस आधार पर वापस बुलाए जाने का तर्क दिया गया है कि वह विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी नहीं देकर निर्वाचित सरकार को अपने कर्तव्यों का पालन करने से रोक रहे हैं. ज्ञापन में कहा गया है कि राज्यपाल विधेयकों को मंजूरी देने में विफल रहने से लोगों की मांगों को पूरा करने के राज्य सरकार के प्रयासों में रोड़ा बन गए हैं.


कांग्रेस ने किया समर्थन


उधर, इस बीच कांग्रेस (Congress) ने भी इसका समर्थन किया है और हस्ताक्षर करने का फैसला किया है. कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, "मैं तमिलनाडु के राज्यपाल को वापस बुलाने की याचिका का समर्थन करता हूं, जिस पर डीएमके, कांग्रेस और गठबंधन के अन्य दलों के सांसदों द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे."


DMK के नेतृत्व वाले धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील गठबंधन, जिसमें कांग्रेस, दोनों वाम दल, IUML, MDMK, KDMK और VCK शामिल हैं के लोकसभा में 38 और राज्यसभा में 12 सांसद हैं. 50 सांसदों में से, IJK सांसद डॉ टीआर परिवेंद्र को छोड़कर, जिन्होंने DMK के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ा, लेकिन बाद में गठबंधन छोड़ दिया. उनके हस्ताक्षर करने की उम्मीद है.


इन राज्यों में भी हो चुकी ऐसी लड़ाई


इससे पहले ऐसी ही लड़ाई पुडुचेरी में भी खुलकर सामने आई थी. जहां पूर्व मुख्यमंत्री नारायणस्वामी और उप राज्यपाल किरण बेदी (Kiran Bedi) के बीच की लड़ाई सड़क तक देखने को मिली थी. ऐसी ही लड़ाई केरल में भी आए दिन देखने को मिल रही है जहां लेफ्ट के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच भी वार पलटवार होता रहा है.


ताजा मामला वीसी को लेकर हुआ, जहां केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान (Governor Arif Muhammad Khan) के कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के खिलाफ 7 कुलपतियों ने केरल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने नोटिस को रद्द करने की मांग की और तर्क दिया कि यह अवैध है.


केरल में इसलिए मचा बवाल


दरअसल, केरल के राज्यपाल और राज्य में विश्वविद्यालयों के चांसलर आरिफ मोहम्मद खान ने पिछले हफ्ते केरल के नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से अपने पद से इस्तीफा देने को कहा था. जब सभी कुलपतियों ने 24 अक्टूबर की सुबह तक अपने इस्तीफे राज्यपाल को नहीं भेजे तो राज्यपाल ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा. नोटिस में 3 नवंबर 2022 तक जवाब मांगे गए हैं कि सुप्रीम कोर्ट के 21 अक्टूबर के आदेश के बाद उनका अपने पदों पर बने रहने का क्या कानूनी अधिकार है?


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