चेन्नई: सीटों के बंटवारे को लेकर कई दिनों तक चले विचार-विमर्श के बाद डीएमके ने अपनी अहम सहयोगी कांग्रेस को 25 विधानसभा सीटें और कन्याकुमारी लोकसभा सीट दीं. डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन और तमिलनाडु कांग्रेस समिति प्रमुख के एस अलागिरी ने छह अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर डीएमके मुख्यालय ‘अन्ना अरिवालयम’ में समझौते पर हस्ताक्षर किए.
कई दिनों तक विचार-विमर्श के बाद शनिवार देर रात समझौते पर सहमति बनी थी. कांग्रेस नेता और पार्टी की तमिलनाडु इकाई के प्रभारी दिनेश गुंडु राव ने कहा कि जब देश बीजेपी से ‘खतरे’ का सामना कर रहा है, ऐसे में ‘‘सहयोग की भावना’’ के तहत समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. यह पूछे जाने पर कि क्या वह सहयोगी दल द्वारा आवंटित सीटों की संख्या से संतुष्ट हैं, राव ने कहा कि उनका एकमात्र लक्ष्य डीएमके नीत धर्मनिरपेक्ष मोर्चे की जीत सुनिश्चित करना है.
बीजेपी के चंगुल से ‘लोकतंत्र को बचाने’ की जंग- राव
राव ने कहा कि भगवा दल के खिलाफ केवल विचारधारा की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह उसके चंगुल से ‘‘लोकतंत्र को बचाने’’ की जंग है. उन्होंने आरोप लगाया कि देश को ‘‘तानाशाही’’ की तरह चलाया जा रहा है और विपक्षी दलों की निर्वाचित सरकारों को अपदस्थ कर दिया गया है. हाल में, पड़ोसी पुडुचेरी में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद पार्टी की सरकार ने बहुमत खो दिया और मुख्यमंत्री वी नारायणसामी के मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ा. राव ने आरोप लगाया कि बीजेपी विपक्षी दलों को अस्थिर और समाप्त करने के लिए ‘‘धन और सरकारी’’ ताकत का इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘तमिलनाडु में भी उसका एजेंडा यही है.’’
राव ने कहा, ‘‘देश इस समय बहुत खतरनाक स्थिति में है.’’ उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में डीएमके, कांग्रेस, वाम और क्षेत्रीय संगठनों का धर्मनिरपेक्ष मोर्चा देशभर में संदेश भेजेगा कि जब समान सोच वाले दल हाथ मिलाते हैं, तो ‘‘फासीवादी ताकतों’’ को अपने पैर जमाने से रोका जा सकता है. राव ने कहा कि कांग्रेस हमेशा लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ खड़ी होती है. उन्होंने तमिलनाडु और पुडुचेरी में अपने मोर्चे की जीत का भरोसा जताया.
वसंतकुमार के निधन के बाद खाली हुई कन्याकुमारी लोकसभा सीट
कन्याकुमारी लोकसभा सीट से 2019 में निर्वाचित एच वसंतकुमार के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव अनिवार्य हो गया है. वसंतकुमार का कोविड-19 के कारण निधन हो गया था. डीएमके ने अब तक अपने सहयोगियों को 48 सीटें दी हैं. कांग्रेस को 25, एमडीएमके, विदुथलाई चिरुथिगाल काची (वीसीके) और माकपा को छह-छह सीटें, आईयूएमएल को तीन और मनिठान्या मक्कल काची को दो सीटें दी गई हैं.
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