Tamil Nadu Government-Governor Row: तमिलनाडु और पंजाब की राज्य सरकारों ने राज्यपालों के बेवजह और गैर-जरूरी हस्तक्षेपों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थीं. शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु के राज्यपाल और उनके पंजाब समकक्ष को लेकर कड़ा रूख अख्तियार किया था. अदालत के इस सख्त कदम के बाद अब तमिलनाडु राज्यपाल आरएन रवि ने गुरुवार को 10 लंबित विधेयकों को विधानसभा को लौटा दिया है. इनमें दो बिल पिछली अन्नाद्रमुक सरकार की ओर से पारित किए गए थे, वह भी शामिल हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के कानून विभाग के सूत्रों ने बताया कि विधानसभा की ओर से पारित बिलों को मंजूरी देने में राज्यपाल रवि की ओर से बेवजह से देरी की जा रही थी. इस तरह के मामलों की एक शिकायत तमिलनाडु के अलावा पंजाब सरकार की ओर से भी गई थी. इन दोनों राज्यों की शिकायतों की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने शिकायतों को "गंभीर चिंता का विषय" बताया.
तमिलनाडु को एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया
बिल लौटाए जाने के कुछ घंटों बाद, तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु की ओर से शनिवार (18 नवंबर) को तमिलनाडु विधानसभा का एक दिवसीय स्पेशल सेशन बुलाया गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि सत्तारूढ़ डीएमके इनको राज्यपाल रवि को मंजूरी के लिए सीधे वापस भेज देगी जिस पर उनको हस्ताक्षर करना अनिवार्य हो जाएगा. गवर्नर के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएंगे.
गर्वनर पर जानबूझ कर विधेयकों को मंजूरी देने में देरी के आरोप
राज्य सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि बीजेपी सरकार की ओर से नियुक्त गर्वनर जानबूझ कर विधेयकों को मंजूरी देने में देरी कर रहे हैं. वहीं, निर्वाचित प्रशासन को कमजोर करके राज्य के विकास को बाधित भी करना चाहते हैं. राज्यपाल की कार्रवाई मंजूरी के लिए भेजे गए बिलों में जानबूझकर देरी और विशिष्ट समय सीमा मांग करके 'लोगों की इच्छा को कमजोर' करने का काम किया जा रहा है.
AIADMK के पूर्व मंत्रियों पर मुकदमा चलाने का बिल भी शामिल
राज्यपाल के समक्ष लंबित विधेयकों में से एक विधेयक राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति मामले में राज्यपाल के अधिकार पर रोक लगाने वाला भी शामिल है. वहीं, दूसरा विधयेक एआईएडीआईएमके के पूर्व मंत्रियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगने संबंधी भी है.
NEET छूट विधेयक को काफी समय बाद किया था वापस
इससे पहले राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (NEET) छूट विधेयक को काफी देर तक लंबित रखने के बाद राज्यपाल की ओर से वापस लौटा दिया गया था. बाद में इस विधेयक को विधानसभा की तरफ से फिर से पारित करके भारत के राष्ट्रपति के पास मंजूरी को भेजा था. राज्यपाल की ओर से ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले विधेयक पर भी इसी तरह का रुख अपनाया गया. अध्यक्ष ने कहा, "बिल रोकना ना कहने का एक विनम्र तरीका है..."
सनातन धर्म और कई मसलों पर रहा राज्यपाल-सरकार में टकराव
इस बीच देखा जाए तो सनातन धर्म पर तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणियों को लेकर भी राज्य में विवाद खड़ा हुआ था. राज्यपाल और सरकार के बीच इस मामले को लेकर टकराव पैदा हो गया था. इसके अलावा राज्यपाल ने सरकार की ओर से दिए गए लिखित भाषण को विधानसभा में पढ़ते वक्त बीआर अंबेडकर, ईवी पेरियार, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्रियों सीएन अन्नादुरई, के कामराज और के करुणानिधि के नामों को जिक्र करना जरूरी नहीं समझा था. इस पर भी बवाल खड़ा हो गया था.
इसके बाद स्टालिन की सरकार ने बाद में राज्यपाल रवि के भाषण के अंश को औपचारिक रूप से रिकॉर्ड नहीं करने के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया था. इससे पहले, राज्यपाल ने सरकार की दुखती रग पर हाथ रखते हुए राज्य का नाम बदलकर थमिझागम (Thamizhagam) करने का सुझाव दिया था.
यह भी पढ़ें: TN Governor Row: 'तुरंत हटाए जाएं तमिलनाडु के राज्यपाल', DMK सांसद ने राष्ट्रपति को लिखा ज्ञापन