चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की संपत्ति अधिग्रहित की जाने वाली चल-अचल संपत्ति कब्जे में ले ली है. इसमें 4 किलो सोना, 610 किलो चांदी, 10438 कपड़े, 8376 किताबें समेत कुल 32721 आइटम शामिल है. इसके अलावा 11 टीवी, 10 रेफ्रिजरेटर, 38 एसी, 556 फर्नीचर, 6514 रसोइ के बर्तन, 1055 शोकेस, 15 पूजा के बर्तन, 29 फोन, 394 मोमेंटो, 253 स्टेशनरी आइटम, 65 सूटकेस, 6 घड़ियां भी शामिल हैं. तमिलनाडु सरकार जयललिता के निवास स्थान 'वेदा निलयम' को स्मारक बनाने जा रही है. इसी वजह से संपत्ति अधिग्रहित की गई है.


पिछले महीने तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के आवास को संग्रहालय में बदलने के लिए अस्थायी तौर पर कब्जे में लेने का एक अध्यादेश जारी किया था. सरकार ने जारी एक बयान में कहा गया था कि जयललिता के निवास को स्मारक में बदला जाएगा.


अध्यादेश के तहत मुख्यमंत्री के. पलनीस्वामी की अध्यक्षता में पुराचि थलाइवी जे जयललिता मेमोरियल फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी, जिसमें उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम और अन्य लोग बतौर सदस्य शामिल होंगे. पलनीस्वामी ने जयललिता के निवास को स्मारक में बदलने के सरकार के फैसले की घोषणा पहले ही की थी.


जयललिता के भतीजे-भतीजी द्वितीय श्रेणी के कानूनी वारिस
अध्यादेश जारी किए जाने के बाद मद्रास हाईकोर्ट ने जे. दीपक और जे. दीपा को दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता की द्वितीय श्रेणी (सेकंड लाइन) का कानूनी उत्तराधिकारी घोषित किया था. इसके साथ ही अदालत ने यह भी सुझाव दिया कि जयललिता के निवास स्थान 'वेद निलयम' का कोई हिस्सा मुख्यमंत्री कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.


जयललिता की भतीजी दीपा और भतीजे दीपक ने खुद को जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारी के तौर पर घोषित करने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी. तमिलनाडु सरकार द्वारा जयललिता के निवास स्थान पर अस्थायी कब्जा करने के लिए अध्यादेश लाने के आदेश के बाद अदालत का फैसला आया. बता दें, लंबी बीमारी के बाद दिसंबर 2016 में तमिनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का निधन हो गया था.


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