तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने शनिवार को यहां कहा कि राज्य को विकसित करने की प्रतिबद्धता के साथ किए जा रहे दृढ़ प्रयासों से तमिलनाडु देश के सबसे सुशासित राज्यों में शामिल हुआ है. पलानीस्वामी ने ट्वीट किया कि तमिलनाडु को भारत के सबसे सुशासित राज्यों में शामिल किया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे दृढ़ प्रयासों और राज्य को विकसित बनाने की प्रतिबद्धता का नतीजा है. हम आगे भी मिलकर काम करना जारी रखें और तमिलनाडु को भारत का सबसे सुशासित राज्य बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करें.’’


मुख्यमंत्री ने स्थायी विकास के संदर्भ में एकीकृत सूचकांक के आधार पर सुशासन संबंधी राज्यों की रैंकिंग की खबर भी साझा की. पब्लिक अफेयर सेंटर (पीएसी) द्वारा शुक्रवार को यहां जारी पब्लिक अफेयर इंडेक्स (पीएआई)-2020 के मुताबिक सुशासन के मामले में बड़े राज्यों की श्रेणी में शीर्ष चार स्थान पर दक्षिणी राज्य- केरल (1.388 पीएआई अंक), तमिलनाडु (0.912), आंध्र प्रदेश (0.531) और कर्नाटक (0.468)- काबिज हैं.


तमिलनाडु के राज्यपाल ने 7.5 प्रतिशत आरक्षण वाले विधेयक को मंजूरी दी


राज भवन की विज्ञप्ति के अनुसार राज्यपाल ने 26 सितम्बर को लिखे एक पत्र में भारत के सॉलिसीटर जनरल (एसजीआई) से कानूनी राय मांगी थी और 29 अक्टूबर को इस पर राय मिल गई. बयान में कहा गया है कि राय मिलते ही माननीय राज्यपाल ने विधेयक को मंजूरी दे दी.’’


वहीं, द्रमुक सहित विपक्षी दलों ने विधेयक को मंजूरी देने में पुरोहित पर देरी करने का आरोप लगाया. इसी बीच राज भवन ने स्पष्ट किया कि कानूनी राय मिलते ही विधेयक को तुरंत मंजूरी दे दी गई. मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने कहा कि मौजूदा वर्ष से आरक्षण लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं. द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने बताया कि राज्यपाल के पास कोई विकल्प नहीं रह गया था, इसलिए उन्होंने आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी.


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