हेड कांस्टेबल ने जताई फ्री में तिहाड़ जेल का जल्लाद बनने की इच्छा, जब उन्हें पता चला कि...
निर्भया के मुजरिमों को फांसी पर लटकाने का वक्त करीब आ रहा है. मुजरिमों के पास कानूनी विकल्प सीमित हैं. मगर तिहाड़ जेल में एक भी जल्लाद नहीं है.
रामनाथपुरम: तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के एक हेड कांस्टेबल ने तिहाड़ जेल में मृत्युदंड पाए दोषियों को फांसी पर लटकाने वाला जल्लाद बनने की पेशकश की है. दिल्ली में कारावास डीजीपी को लिखे पत्र में हेड कांस्टेबल सुभाष श्रीनिवास ने कहा, ‘‘मैं तिहाड़ जेल में जल्लाद के तौर पर काम करना पसंद करूंगा.’’
श्रीनिवास ने कहा कि उन्हें इस काम के लिए किसी तरह का भुगतान नहीं चाहिए. निर्भया मामले में मृत्युदंड पाए चार दोषियों को फांसी पर लटकाया जाना है. श्रीनिवास को जब पता चला कि तिहाड़ जेल में जल्लाद नहीं है तो उन्होंने यह काम करने की पेशकश की.
तिहाड़ जेल के अधिकारी इन दिनों चिंता में हैं. चिंता इस बात की है कि उनकी जेल में जल्लाद नहीं है. निर्भया केस के मुजरिमों को फांसी देने का वक्त करीब आ रहा है. उनके खिलाफ किसी दिन भी ब्लैक वारंट जारी हो सकता है. राष्ट्रपति की तरफ से दया याचिका खारिज होने के बाद फांसी तय है. मगर तिहाड़ जेल में एक भी जल्लाद नहीं होने के कारण विकल्प क्या हो, इस पर मंथन किया जा रहा है. मुजरिमों की सजा पर अमल कैसे होगा, यही तिहाड़ प्रशासन की समस्या का का कारण बना हुआ है.
निर्भया के मुजरिमों को कैसे मिलेगी सजा ? सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों ने अभी से इसके लिए विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है. अधिकारी दूसरे जेलों से जानकारी ले रहे हैं कि उनके यहां कोई फांसी देने वाला है क्या? उत्तर प्रदेश के कई गांवों से अधिकारी मालूम कर रहे हैं कि उनके यहां आखिरी बार किस शख्स ने फांसी दी थी.
निर्भया केस के मुजरिमों में से सिर्फ एक विनय शर्मा ने राष्ट्रपति से दया याचिका की गुहार लगाई है. अगर राष्ट्रपति दया याचिका खारिज कर देते हैं तो फिर तिहाड़ जेल प्रशासन के पास मामला आएगा. उसके बाद तिहाड़ प्रशासन कोर्ट से ब्लैक वारंट की अपील करेगा. कोर्ट से ब्लैक वारंट जारी होने के बाद जेल प्रशासन मुजरिमों और उनके परिवार को सूचित करेगा. इसके बाद चारों मुजरिमों को फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा.
निर्भया केस के अन्य मुजरिम मुकेश, पवन, अक्षय ने दया याचिका के लिए अपील नहीं की है. इसके लिए जेल प्रशासन ने एक हफ्ते की मोहलत दी थी. अब कोर्ट उनको अतिरिक्त मोहलत देने के बारे में फैसला करेगा. हालांकि उनके पास बचने के कानूनी विकल्प सीमित हैं.
भारत में कानून के मुताबिक किसी भी जघन्य अपराध के लिए कोर्ट अपराधी को फांसी की सजा सुना सकता है. अगर किसी अपराधी को फांसी की सजा मिली है तो उसके लिए कानून में अलग से प्रावधान किए गए हैं. फांसी की सजा पाने वाले शख्स के साथ साथ एक और शख्स की भूमिका बड़ी गहरी होती है और वो है जल्लाद, जो अपने हाथों से फांसी का फंदा भी तैयार करता है और अपराधी को उस फंदे पर लटकाता भी है.
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