Statewide Meetings Against Hindi Imposition: तमिलनाडु में हिंदी भाषा को लेकर विवाद गरमाया हुआ है. हाल ही में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) ने हिंदी भाषा को कथित रूप से थोपने के खिलाफ केंद्र की निंदा की थी. अब राज्य की द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) राज्य में हिंदी भाषा के 'लागू' के खिलाफ तमिलनाडु विधानसभा में पारित प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए 4 नवंबर को राज्यव्यापी जनसभाएं आयोजित करेगी. कुछ अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी. 


इस जनसभा में स्पीकर तमिलनाडु विधानसभा में हिंदी भाषा के "थोपने" के खिलाफ पारित प्रस्ताव की व्याख्या करेंगे, जिसमें केंद्र से राजभाषा पर संसदीय समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू नहीं करने का आग्रह किया गया था. इससे पहले 13 अक्टूबर को सत्तारूढ़ द्रमुक की युवा और छात्र शाखा ने केंद्र की तरफ से हिंदी थोपने के मामले में तमिलनाडु में राज्यव्यापी विरोध की घोषणा की थी. 


तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हिंदी भाषा को कथित रूप से थोपने के खिलाफ केंद्र की निंदा की है. स्टालिन ने अपने बयान में कहा कि ऐसे प्रयास केंद्र और राज्य के संबंधों की भावना को खतरे में डालते हैं. उन्होंने कहा, 8वीं अनुसूची में सभी भाषाओं को राजभाषा बनाएं. इसे लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को एक पत्र भी लिखा है. 


स्टालिन ने पीएम को भेजे पत्र में क्या लिखा 


स्टालिन ने पीएम को भेजे अपने पत्र में लिखा है, ''हिंदी थोपने के हाल के प्रयास अव्यावहारिक और चरित्र में विभाजनकारी हैं जो कई मायनों में गैर-हिंदी भाषी लोगों को बेहद नुकसानदेह स्थिति में डालते हैं. यह केवल तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि मातृभाषा का सम्मान और कद्र करने वाले किसी भी राज्य को स्वीकार्य नहीं होगा. 


केरल के मुख्यमंत्री ने भी जताई आपत्ति 


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली राजभाषा समिति ने पिछले महीने 9 सितंबर को रिपोर्ट का 11वां वॉल्यूम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा था. शाह और समिति के अन्य सदस्यों की ओर से राष्ट्रपति मुर्मू को सौंपी गई रिपोर्ट का कंटेंट सार्वजनिक नहीं है लेकिन तमिलनाडु और केरल के मुख्यमंत्रियों ने इसे लेकर आपत्ति जताई है.


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