नई दिल्ली: चेन्नई में कल रात से आया राजनीतिक भूचाल अभी तक नहीं थमा है. खबर है कि AIADMK के 130 विधायकों को बस में बिठाकर चेन्नई के एक फाइव स्टार होटल में ले जाया गया है.


जानकारी के मुताबिक इन विधायकों को राज्यपाल के चेन्नई लौटने तक वहीं रखा जाएगा. तमिलनाडु के राज्यपाल सी विद्यासागर राव अभी मुंबई में हैं. ऐसा माना जा रहा है कि शशिकला ने अपने समर्थक विधायकों को पाला बदलने और खरीद-फरोख्त से रोकने के लिए ये कदम उठाया है.



पन्नीरसेल्वम ने कई गंभीर आरोप लगाए
कल रात ओ पन्नीर सेल्वम चेन्नई के मरीना बीच पर करीब 40 मिनट तक अम्मा यानि जयललिता के स्मारक पर चुपचाप बैठे रहे. इसके बाद पन्नीरसेलवम ने कहा, ''मैंने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि मुझे इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया. मुझे लगातार अपमानित किया जा रहा था.'' इसके साथ ही पन्नीरसेल्वम ने कई गंभीर आरोप भी लगाए गए.


पार्टी से निकाले जा सकते हैं पन्नीरसेल्वम
आधी रात को एआईएडीएमके प्रमुख शशिकला ने पन्नीरसेल्वम को पार्टी के कोषाध्यक्ष पद से हटाने का एलान किया. ऐसी खबर है कि वो पार्टी से भी निकाले जा सकते हैं. इस ड्रामे के बीच पन्नीरसेल्वम ने जयललिता की मौत की जांच के आदेश दे दिए हैं. ऐसे में अब ये सवाल उठने लगे हैं कि दोनों की इस लड़ाई में क्या पार्टी टूट जाएगी.


क्या कहता है विधानसभा का गणित?
जनता का साथ पन्नीरसेल्वम के साथ बताया जा रहा है लेकिन राजनीति में कुध को साबित करने के लिए संख्याबल की जरूरत होती है. अभी तमिलनाडु की 234 सीटों की विधानसभा में एआईएडीएमके के 134 विधायक हैं.


बहुमत के लिए 118 विधायकों की जरूरत होती है जो अभी उनके पास हैं. पन्नीरसेल्वम गुट 50 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है. मुख्य विपक्षी पार्टी करुणानिधि की DMK के 89 विधायक हैं. दोनों मिल जाएं तो 139 विधायकों के साथ आराम से सरकार बना सकते हैं. फिलहाल अभी ये सिर्फ अटकले हीं हैं.


शशिकला पर सस्पेंस क्यों ?
तमिलनाडु में शशिकला को सीएम बनाने को लेकर सस्पेंस इसलिए बना हुआ है क्योंकि पन्नीरसेल्वम को इस्तीफा दिए दो दिन हो गए हैं लेकिन गवर्नर सी विद्यासागर राव अभी भी चेन्नई नहीं पहुंचे हैं. सवाल ये उठ रहा है कि आखिर देर किस बात की है. क्या केंद्र की तरफ से किसी इशारे का इंतजार है.


केंद्र सरकार क्या कर रही है?
राजनीतिक विश्लेशकों का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव 6 महीने के अंदर होने वाले हैं. ऐसे में बीजेपी ऐसा मानकर चल रही थी कि एआईएडीएमके के 52 सांसद औऱ 134 विधायक उनके राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए वोट कर सकते हैं.


अगर पार्टी टूट गई तो फिर नए समीकरण में कौन किसका साथ देगा इसे लेकर अब कन्फ्यूजन है. और शायद यही वजह है कि केंद्र सरकार इंतजार की रणनीति अपना रही हैं.