Tamil Nadu Politics: अन्नाद्रमुक(AIADMK) में अंदरूनी कलह जारी है पार्टी के नेता बने एडप्पाडी के. पलानीस्वामी ने सोमवार को ओ पनीरसेल्वम (O Panneerselvam) को पार्टी से बर्खास्त कर दिया. फिर बड़ी कार्रवाई करते हुए गुरुवार को पनीरसेल्वम के बेटे सहित 17 नेताओं को भी पार्टी से बर्खास्त कर दिया है. तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने दोहरे नेतृत्व के मॉडल को खत्म करने के लिए एडप्पाडी के. पलानीस्वामी (Edappadi K Palaniswami) को अपना अंतरिम महासचिव चुना और पार्टी हितों के खिलाफ काम करने के आरोप में ओ पनीरसेल्वम पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त कर दिया था.
पलानीस्वामी को पार्टी का नेता चुना गया
अन्नाद्रमुक की आम परिषद की एक बैठक हुई जिसमें 68 वर्षीय पलानीस्वामी को पार्टी का सर्वोच्च नेता चुना गया. मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court)द्वारा प्रतिद्वंद्वी गुट की बैठक पर रोक लगाने का आग्रह करने वाली पनीरसेल्वम की याचिका को खारिज किए जाने के तुरंत बाद एक लंबे आंतरिक सत्ता संघर्ष के बीच पलानीस्वामी को पार्टी संचालन के लिए पूर्ण अधिकार दे दिया गया. कोर्ट ने कहा था कि अदालतें निश्चित रूप से राजनीतिक पार्टी के निजी मामलों में हस्तक्षेप करने से परहेज करेंगी.
अन्नाद्रमुक की आम परिषद की बैठक से पहले, पलानीस्वामी (Edappadi K Palaniswami) और पनीरसेल्वम (O Panneerselvam) के समर्थकों के बीच अन्नाद्रमुक मुख्यालय और उसके आस-पास हिंसा और झड़प हुई थी, जिसके बाद अधिकारियों ने परिसर को सील कर दिया था. इस झड़प में कुछ लोगों के घायल होने की भी खबर मिली थी.
कोर्ट ने पनीरसेल्वम को लगाई थी कड़ी फटकार
मद्रास हाईकोर्ट ने अन्नाद्रमुक की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली इकाई आम परिषद की बैठक आयोजित करने की अनुमति ती और साथ ही पनीरसेल्वम के बार-बार अदालत का रुख करने को लेकर नाराजगी भी जाहिर की. न्यायाधीश ने कहा कि वर्तमान मामले में, आवेदक अपने बचाव के लिए अदालतों को उपकरण के रूप में उपयोग करने की कोशिश में अदालतों के दरवाजे खटखटा रहे हैं, जिनको पार्टी के सदस्यों से समर्थन नहीं मिल रहा ह
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ आवेदक जो हासिल नहीं कर पा रहा है, वह अदालत के जरिए उसे पाना चाहता है, लेकिन अदालत सिर्फ एक या दो सदस्यों के कहने पर पार्टी के हजारों अन्य सदस्यों के हितों के खिलाफ पार्टी के निजी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी.’’
जयललिता की मौत के बाद पार्टी में चल रही थी खटपट
अन्नाद्रमुक ने पांच दिसंबर, 2016 को पार्टी प्रमुख जयललिता की मृत्यु के बाद एकता बनाए रखने के लिए कड़ा संघर्ष किया था. इसके बाद ही पनीरसेल्वम ने पलानीस्वामी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से "निष्कासित" कर दिया था. बता दें कि पलानीस्वामी और 71 वर्षीय पनीरसेल्वम दोनों ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हैं. पनीरसेल्वम दिवंगत जयललिता के करीबी और वफादार रहे हैं.
शशिकला का दावा-जयललिता की पार्टी पर उनका हक
वहीं, आंतरिक कलह झेल रही अन्नाद्रमुक पर वीके शशिकला ने दावा पेश किया. पार्टी की दिवंगत दिग्गज नेता जे जयललिता की भरोसेमंद रहीं शशिकला भी अन्नाद्रमुक पर दावा कर रही हैं. शशिकला ने ऐलान किया है कि पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी, दोनों ही पार्टी के ‘‘छाया मात्र’’ हैं, जबकि वह एक मात्र ‘‘सच’’ हैं. यानी वह खुद जयललिता की पार्टी को संभालने का दावा कर रही हैं.
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