Sasikala Hints Reuniting AIADMK: निष्कासित अन्नाद्रमुक नेता और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री शशिकला (Sasikala) ने शुक्रवार (23 दिसंबर) को 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले पार्टी के फिर से एकजुट होने को लेकर संकेत दिया. उन्होंने कहा कि एक बार फिर से सभी एआईएडीएमके (AIADMK) के साथ मिलकर आम चुनाव में उतरेंगे और जीत हासिल करेंगे. शशिकला ने चेन्नई के किलपौक चर्च में क्रिसमस प्रोग्राम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने चेन्नई किलपौक के वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को मुफ्त खाना भी बांटा. 


दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता (Jayalalithaa) की करीबी दोस्त और अन्नाद्रमुक (एआईडीएमके) नेता वीके शशिकला शुक्रवार को एक वृद्धाश्रम में बुजुर्गों के साथ क्रिसमस मानने पहुंची थीं. इस दौरान शशिकला ने पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत के सिलसिले में अरुमुगास्वामी आयोग की ओर से समन किए जाने पर भी सवालों का जवाब दिया. शशिकला ने कहा, "मुझे अरुमुगास्वामी आयोग की ओर से दो विकल्प दिए गए थे. इनमें व्यक्तिगत रूप से पेश होना या वकील के माध्यम से जवाब देना या सवालों के लिखित जवाब देने के लिए कहा गया था. मैंने एक लिखित पत्र के जरिये जवाब देना चुना है और सभी सवालों का जवाब दिया है."


जयललिता की मौत को लेकर शशिकला का दावा?


जयललिता की सबसे विश्वासपात्र रहीं शशिकला ने इस दौरान संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि जयललिता की मौत के मामले में कुछ भी छिपाने वाली बात नहीं है. उन्होंने दावा किया कि जयललिता ने इलाज के लिए विदेश न जाने का फैसला किया था क्योंकि उन्हें लगा कि चेन्नई में मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं. हालांकि, हम उन्हें विदेश ले जाना चाहते थे लेकिन चेन्नई में इलाज कराने का फैसला पूरी तरह से जयललिता का था. उन्होंने दावा किया कि जयललिता की सेहत में सुधार के लक्षण दिख रहे थे और 19 दिसंबर को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिलने वाली थी लेकिन जब उनकी मौत हुई, उस समय वह टीवी देख रहीं थीं. गौरतलब है कि जयललिता का निधन 2016 में 5 दिसंबर को एक निजी अस्पताल में हुआ था. 


AIADMK में अंदरुनी टकराव


दरअसल, साल 2016 में जयललिता के निधन के बाद AIADMK में सत्ता को लेकर अंदरुनी विवाद छिड़ गया. जयलिलता की करीबी दोस्त शशिकला ने पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जा बैठीं. इसके बाद पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर पार्टी के भीतर खींचतान का सिलसिला शुरू हुआ, जो आज तक जारी है. इसकी वजह से एआईडीएमके की 2019 में बुरी हार हुई. पार्टी में अंदरूनी कलह मच गई. ओपीएस ने मुख्यमंत्री के उम्मीदवार पद को छोड़ दिया. ईपीएस को 2021 विधानसभा चुनाव में सीएम पद का प्रत्याशी बनाया गया. तभी से पार्टी ईपीएस और ओपीसी कैंप में बंट कर रह गई है.


इसे भी पढ़ेंः-


Modi Cabinet Decisions: OROP स्कीम में जोड़े गए 5 लाख और नाम, 81 करोड़ गरीबों को अगले एक साल तक मिलेगा मुफ्त अनाज