Biryani Fest Controversy: तमिलाडु (Tamil Nadu) के अंबुर में आयोजित बिरयानी उत्सव (Biryani Fest) में बीफ (Beef) को शामिल नहीं करने को लेकर उपजे विवाद के महीनों बाद राज्य अनुसूचित जाति-जनजाति (State SC/ST Commission ) आयोग ने बड़ा बयान दिया है. आयोग ने कहा कि सरकारी कार्यक्रम में व्यंजन (Delicacy) को नजरअंदाज करना ‘भेदभाव’ के बराबर है. आदि द्रविड़ (Adi Dravidar) और अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) के लिए तमिलनाडु आयोग ने कहा कि सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए.


आयोग (Commission)  ने कहा कि उनसे स्थानीय विदुथलाई चिरुथईगल काची (वीसीके) श्रमिक मोर्चा के प्रतिनिधियों ने मिलकर आरोप लगाया था कि इस आयोजन में ‘बीफ बिरयानी’ को शामिल न करना अंबुर और उसके आसपास रहने वाली एक महत्वपूर्ण अनुसूचित जाति की आबादी के खिलाफ ‘खाद्य भेदभाव’ (Food Discrimination ) है. आयोग ने सोमवार को एक प्रेस रिलीज में कहा कि जिला कलेक्टर ने घोषणा की थी कि ‘खाद्य उत्सव’ में ‘बीफ बिरयानी’ को शामिल नहीं किया जाएगा.


गत मई में ‘अंबूर बिरयानी थिरुविझा 2022’ का आयोजन प्रस्तावित था जिसका मकसद यहां से लगभग 186 किलोमीटर दूर अंबुर के लोकप्रिय व्यंजन के लिए भौगोलिक संकेत (जीआई टैग) हासिल करना था. हालांकि, तब जिला प्रशासन ने बारिश के पूर्वानुमान का हवाला देते हुए विवाद होने पर इस आयोजन को टाल दिया था.


आयोग ने जारी किया कारण बताओ नोटिस 
आयोग ने इसके बाद तिरुपथुर के कलेक्टर अमर कुशवाहा को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि उनकी घोषणा अंबूर क्षेत्र के दो लाख अनुसूचित जाति-जनजाति सदस्यों के खिलाफ ‘आधिकारिक भेदभाव’ है. आयोग ने कलेक्टर से पूछा कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए. 


आयोग के नोटिस के जवाब में अधिकारी ने किया ये दावा
प्रेस रिलीज के के मुताबिक कार्यक्रम को स्थगित करने के बाद कलेक्टर (Collector) ने कथित तौर पर कहा कि आयोग की कार्रवाई उन पर लागू नहीं होगी, क्योंकि कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है. आयोग के नोटिस के जवाब में अधिकारी ने दावा किया कि बिरयानी में सूअर के मांस (Pork) का इस्तेमाल नहीं किया गया था, जो ‘स्थानीय मुसलमानों (Muslims) का समर्थन हासिल करने’ के प्रयास की तरह लग रहा था.


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