कोरोना संकट के बढ़ते प्रकोप के बीच कई राज्यों में ऑक्सीजन का संकट भी गहरा गया है. ऐसे में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में तमिलनाडु में मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी ने सोमवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इस बैठक में थुथुकुडी बंदरगाह इलाके में वेदांता समूह की कॉपर कंपनी स्टरलाइट में चार महीने के लिए ऑक्सीजन उत्पादन यूनिट शुरू करने पर सभी दलों ने सहमति जताई.


सरकार द्वारा नियुक्त पैनल प्लांट के कामकाज की निगरानी करेगा


अधिकारियों ने जानकारी दी कि प्लांट में तांबे के उत्पादन की कोई अनुमति नहीं होगी और सरकार द्वारा नियुक्त पैनल प्लांट के कामकाज की निगहबानी करेगा. गौरतलब है कि ये फैसला सर्वदलीय बैठक बाद लिया गया जहां एमके स्टालिन की डीएम द्वारा सुझाव दिया गया था कि, “स्टरलाइट को तमिलनाडु में मुफ्त में ऑक्सीजन प्रदान करना चाहिए.” इसके साथ ही थूथुकुडी सांसद और डीएमके नेता कनिमोझी ने ये कहा कि प्लांट को फिर से खोलने और  ऑक्सीजन के उत्पादन की निगरानी वाले पैनल में स्थानीय लोगों को शामिल किया जाना चाहिए, जिन्होंने कॉपर प्लांट का विरोध किया था, ताकि वे यहां के कामकाज की निगरानी कर सकें


संयत्र बंद किए जाने के तीन साल बाद यह समझौता हुआ


बता दें कि राज्य सरकार द्वारा प्लांट को बंद करने के करीब तीन साल बाद (साल 2018)  यह समझौता हुआ है. साल 2018 में 17 स्टरलाइट विरोधी प्रदर्शनकारियों की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई थी. सीबीआई द्वारा अभी भी मौतों की जांच की जा रही है.इस प्लांट के मालिक वेदांत लिमिटेड हैं. इस प्लांट के नजदीक रहने वाले लोगों को इससे आपत्ति थी. स्थानीय लोगों की ओर से कोलिन गोंजाल्विस ने अदालत मे कहा था कि इस प्लांट की वजह से लोगों को कैंसल जैसी बीमारियों से जूझना पड़ रहा है.


सुप्रीम कोर्ट ने प्लांट खोलने की कही थी बात


वहीं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा था कि ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की जानें जा रही हैं ऐसे में तमिलनाड़ु सरकार को 2018 से बंद पड़ी वेदांता की स्टरलाइट कॉपर यूनिट को अपने हाथ में लेकर कोरोना संक्रमित मरीजों की जिंदगी की खातिर ऑक्सीजन का उत्पादन करना चाहिए. चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा था कि, “ हमारी दिलचस्पी वेदांता या ए, बी, सी के चलाने में नहीं है बल्कि ऑक्सीजन के उत्पादन में है. किसी न किसी को कुछ न कुछ ठोस करना चाहिए, क्योंकि इस वक्त ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की मौतें हो रही हैं.”


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