बेंगलुरू: ‘ऑटो कारा, ऑटो कारा, नालुम तेरिंजा रूट कारा’ यानी मैं एक ऑटो-चालक हूं जो सभी दिशाओं को जानता है. ये गीत रजनीकांत की सुपरहिट फिल्म ‘बाशा’ की है जो 1995 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में रजनीकांत ने एक ऑटो चालक की भूमिका निभाई. अब जल्द ही असल ज़िन्दगी में भी रजनीकांत ‘ऑटो चालक’ बनने जा रहे हैं.
दरअसल, आगामी चुनाव के लिए रजनीकांत जल्द ही बड़ी घोषणा कर सकते हैं. इससे पहले ही रजनीकांत की पार्टी का नाम और पार्टी सिंबल सामने आ चुका है. रजनीकांत की पार्टी का नाम ऑल इंडिया मक्कल सेवई कटची (ऑल इंडिया पीपुल्स सर्विस पार्टी) है और पार्टी सिंबल ‘ऑटो’ दिया गया है.
फिल्म ‘बाशा’ में रजनीकांत का नाम मानिकम रहता है और दूसरा रोल बाशा का रहता है. मानीकम यानी रजनीकांत इस फिल्म में ऑटो ड्राइवर का रोल अदा करते हैं जो अपने परिवार के साथ मद्रास में रहते हैं. एक ऐसा ऑटो ड्राइवर जो अपने परिवार की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. इस फिल्म के इंट्रोडक्टरी सीन में रजनीकांत ऑटो ड्राइवर होते हुए भी लोगों की सेवा करते दिखाई देते हैं. ऐसे में चुनाव के लिए रजनीकांत की पार्टी का नाम मक्कल सेवई कटची जिसका मतलब है जनता सेवा पार्टी, ये बाशा फिल्म की याद दिला रहा है.
इस खबर के सामने आने के साथ ही उनके फैंस उत्साहित नजर आ रहे हैं. सुबह से ही सोशल मीडिया पर रजनीकांत और ऑटो के अलग-अलग फोटो शेयर किए जा रहे हैं. साथ ही उनकी बाशा फिल्म को भी काफी याद किया जा रहा है. ऐसे में सवाल यहीं उठ रहा है कि क्या तमिलनाडु में बाशा के इस सीन की तरह ही रजनीकांत ऑटो मे सवार होकर मक्कल (जनता) की सेवई (सेवा) करेंगे?
तमिलनाडु के राजनीतिक इतिहास में हमेशा से ही फिल्मी सितारों से नेता बने लोगों का दबदबा रहा है. रजनीकांत से पहले कमल हासन ने अपनी पार्टी लॉन्च की जिसका नाम मक्कल निधी मय्यम यानी पीपुल्स जस्टिस पार्टी रखा है.
ऐसे में रजनीकांत की पार्टी जनता की सेवा तो वहीं कमल हासन की पार्टी जनता के न्याय को फोकस कर रही है. फिल्म अरुणाचलम के एक सीन में रजनीकांत एक डायलॉग कहते हैं "आंडवन सोलुरान अरुणाचलम सेईरान" जिसका मतलब है कि भगवान कहेगा और अरुणाचलम करेगा." ऐसे में सवाल ये है कि क्या रजनीकांत लोगों के बीच इसी डायलॉग के साथ जाएंगे? पहले ही यह साफ कर दिया है कि वे अध्यात्मिक राजनीति करेंगे.
तमिलनाडु ने बीते सालों में दो बड़े स्टालवार्ट को खोया है. ये दो नाम कलैंजर करुणानिधि और जे जयललिता का है. जिसके बाद से तमिलनाडु की राजनीति में वैक्यूम देखा जा रहा है. ऐसे में सवाल ये भी है कि क्या रजनीकांत और कमल हासन इस स्पेस को भरने में कामयाब होंगे?
लोकसभा चुनाव में कमल हासन की पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई थी और पार्टी का प्रदर्शन फ्लॉप रहा था. तमिलनाडु की राजनीति में लोकप्रियता के साथ साथ सियासी समीकरण और रणनीतिकरती है कि सत्ता की चाबी आखिर किसे मिलेगी, यह देखना दिलचस्प होगा कि कमल हासन जनता को न्याय दिलाते हैं या रजनीकांत जनता की सेवा कर सत्ता पर काबिज होने में कामयाब होते हैं?
दिल्ली में इन जगहों पर शुरू हो गई है हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट की जांच, कितना होगा जुर्माना