IIT-Madras Study On Suicide: आईआईटी-मद्रास (IIT-Madras) की एक स्टडी में पता चला है कि तमिलनाडु (Tamil Nadu) में साल 2021 के दौरान आत्महत्या के कुल 18 हजार 925 मामले दर्ज हुए जिस पर राज्य ने 30 हजार करोड़ का खर्च उठाया.


आत्महत्या की सामाजिक-आर्थिक कीमत का अनुमान लगाने के लिए आईआईटी-एम में रिहैबिलिटेशन बायोइंजीनियरिंग लैब (Rehabilitation Bioengineering Lab) द्वारा किए गए अध्ययन को स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमण्यन (Ma. Subramanian) को सौंपा. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, रिपोर्ट से सरकार को इस स्थिति से बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिलेगी.


चूहे मारने की दवा खाकर लोग दे रहे अपनी जान...


स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमण्यन बोले, हमने पाया कि बहुत से लोग अपने जीवन को समाप्त करने के लिए गाय के गोबर के पाउडर के अलावा इंसेक्टिसाइड्स/पेस्टीसाइड (Insecticides/Pesticides) या चूहे मारने की दवा का सेवन करते हैं. हमने उन पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया है हालांकि, हम स्थायी प्रतिबंध (पूरी तरह बंद) पर भी काम कर रहे हैं. हम अस्थायी प्रतिबंध के दौरान बचाए गए जीवन की संख्या के बारे में केंद्र को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे जिससे स्थायी प्रतिबंध के लिए जोर दिया जा सके.


साल पर साल बढ़ रहा आत्महत्या का आंकड़ा


राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के मुताबिक, तमिलनाडु में 2011 में आत्महत्या के कारण 16,927 मौतें हुईं, जो 2019 में घटकर 13493 रह गईं. वहीं, 2020 में ये आंकड़ा बढ़कर 16 हजार 883 तक आ पहुंचा. इसके अगले साल, 2021 में मामलों में और इजाफा हुआ और संख्या 19 हजार 925 हो गई. इस दौरान देशभर में 1 लाख 64 हजार मामले आत्महत्या के दर्ज हुए थे.


पुलिस बजट से ये प्रतिशत...


साल 2021 में, राज्य ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को 18,632 करोड़ आवंटित किए थे जो कुल बजट का 6.03 प्रतिशत था. ये आंकड़ा 3.39 प्रतिशत पुलिस बजट से ज्यादा था.


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