सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि OTT प्लेटफॉर्म पर दिखाई जा रही है बहुत सी सामग्री अश्लील है. उन पर नियंत्रण लगाया जाना जरूरी है. कोर्ट ने यह बात तब कही जब उसके सामने अमेज़न प्राइम की कंटेंट हेड अपर्णा पुरोहित की अग्रिम जमानत अर्जी रखी गई.


कोर्ट ने मामले पर कल सुनवाई की बात कही और सरकार को निर्देश दिया कि वह OTT प्लेटफार्म पर नियंत्रण को लेकर बनाए अपने नए नियमों को रिकॉर्ड पर रखे. अमेज़न प्राइम पर दिखाए गए वेब सीरीज 'तांडव' को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में एफआईआर दर्ज हुई है. अपर्णा पुरोहित ने लखनऊ में दर्ज एफआईआर में इलाहाबाद हाई कोर्ट से गिरफ्तारी से राहत मांगी थी. लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका ठुकरा दी थी. ऐसे में उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.


यूपी में दर्ज मामले में वेब सीरीज में भगवान शिव और हिंदू धर्म को अपमानजनक तरीके से दिखाए जाने की शिकायत की गई है. साथ ही राज्य की पुलिस के गलत चित्रण और जातीय आधार पर समाज को बांटने का भी आरोप लगाया गया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. संविधान में सभी धर्मों के सम्मान को जगह दी गई है. इस सीरीज में समाज में जाति के आधार पर भी विभेद पैदा करने की कोशिश की गई है. इसलिए, गिरफ्तारी पर रोक का आदेश नहिनिया आ सकता.


सुप्रीम कोर्ट में आज यह मामला जस्टिस अशोक भूषण और आर सुभाष रेड्डी की बेंच के सामने सूचीबद्ध था. लेकिन बेंच के बैठने का समय पूरा हो जाने के चलते इसकी सुनवाई नहीं हो पाई. जजों के उठते वक्त अपर्णा पुरोहित के वकील मुकुल रोहतगी ने उनसे यह मामला भी सुन लेने की गुहार की. उन्होंने कहा की इस वेब सीरीज को लेकर दर्ज सभी एफआईआर प्रचार पाने के इच्छुक लोगों ने दर्ज करवाई है. किसी ने भी अमेज़न प्राइम को पक्ष नहीं बनाया है. सबने वेब सीरीज से जुड़े लोगों पर ही आरोप लगाए हैं.


रोहतगी ने कहा, "अमेज़न प्राइम एक पेड सर्विस है. जिससे उसे देखता होता है, वह पैसे देता है." जजों ने उनकी बात को काटते हुए कहा, "अब थिएटर में जाकर सिनेमा देखने का चलन पुराना हो चुका है. लोग ओटीटी पर ही मनोरंजन से जुड़ी सामग्री देखना पसंद कर रहे हैं. इसलिए, यह बहुत जरूरी है कि इस तरह की सामग्री पर नियंत्रण हो.


जस्टिस अशोक भूषण ने कहा, "कई ओटीटी प्लेटफॉर्म तो पॉर्नोग्राफिक सामग्री भी दिखाते हैं." कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "इसके अलावा ज्यादातर कार्यक्रमों में भद्दी गालियों का इस्तेमाल किया जाता है." इस पर बेंच ने कहा, "हमें लगता है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दिखाई जा रही सामग्री की पहले स्क्रीनिंग की कोई व्यवस्था होनी चाहिए."


मामले से जुड़े एक पक्ष के लिए कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने हाल ही में ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया की सामग्री पर नियंत्रण को लेकर नए नियम बनाए हैं. इसमें सेंसर बोर्ड जैसी संस्था के गठन की भी बात है. जजों ने कहा कि वह इन नियमों को देखना चाहेंगे. सॉलिसिटर जनरल इन्हें रिकॉर्ड पर रखें. रोहतगी ने एक बार फिर अंतरिम राहत के लिए सुनवाई की गुहार की. लेकिन कोर्ट ने कहा कि पूरा मामला अब कल सुना जाएगा.


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