नई दिल्ली: एबीपी न्यूज़ के टॉपर्स सम्मेलन में 23वां रैंक हासिल करने वाली तपस्या ने बेहद रोचक बात बताते हुए कहा कि उन्हें ऐसा लगता था कि इस बार वो UPSC की परीक्षा पास नहीं कर पाएंगी. उन्हें इसकी तो बिल्कुल ही कोई उम्मीद नहीं थी कि वो इनते अच्छे रैंक से ये परीक्षा पास कर पाएंगी. वहीं उन्होंने ये भी बताया कि उनका इंटरव्यू भी अच्छा नहीं हुआ लेकिन जो नतीजा आया वो उनके लिए बेहद चौंकाने वाला था. इसी सिलसिले में उन्होंने जो सबसे बड़ी बता कही वो ये थी कि इंटरव्यू में उन्होंने 100% नहीं बल्कि महज़ 20% ही दिया था जिसकी वजह से उन्हें नहीं लगा कि इस बार वो अधिकारी बनने जा रही हैं.
दादी ने तपस्या को सबसे ज़्यादा सपोर्ट किया
हालांकि, इसके उल्टे तपस्या के घरवालों को लगता था कि वो ये परीक्षा पास कर जाएंगी. तपस्या ने बताया कि पूरी तैयारी के दौरान परिवार वालों ने उनको पूरा सपोर्ट किया. प्यारी सी बात बताते हुए उन्होंने कहा कि आमतौर पर घर के सबसे उम्रदराज़ सदस्य खुले और प्रोत्साहित करने वाले विचारों के नहीं होते. वहीं इनके परिवार की सबसे उम्रदराज़ सदस्य दादी हैं जिन्होंने तपस्या को सबसे ज़्यादा सपोर्ट किया. उन्होंने आगे बताया कि परिवार वालों ने कभी भी लड़की होने की वजह से उनके साथ भेदभाव नहीं किया. एक तरफ तो उन्हें भाई का भी पूरा समर्थन था, वहीं दूसरी तरफ सबसे ज़्यादा प्रेरणा बहन से मिली.
गांव की लड़कियों की हालत बनी प्रेरणा
आपको बता दें कि तपस्या ने लॉ की पढ़ाई की है और वो किसी शहर नहीं बल्कि गांव की पृष्ठभूमि से आती हैं. उन्होंने ये भी बताया कि स्कूल की पढ़ाई के दौरान उनके मार्क्स भी ज़्यादा नहीं आते थे. हालांकि, उन्होंने बोर्ड में टॉप ज़रूर किया था. उन्होंने आगे कहा कि जब उन्होंने देखा कि गांव की ज़्यादातर लड़कियों की कम उम्र में शादी हो जाती है तब उन्होंने तय किया कि वो अपने साथ ये नहीं होने देंगी और यही उनकी प्रेरणा की वजह बनी. वो आगे बताती हैं कि उन्हें लगा की किसी को गांव की लड़कियों की नहीं पड़ी. वहीं, जब वो दिल्ली आईं तब उन्हें ये भी लगा कि गांव की लड़कियों की हालत बहुत बदतर है.
कभी नहीं की 16 घंटे की पढ़ाई
UPSC की परीक्षा के जवाबों को लेकर उनका मानना है कि ये जवाब नहीं होते बल्कि किसी के व्यक्तित्व की झलक होते है. वहीं उन्होंने ये भी बताया कि ग्रैजुएशन के विषय लॉ को उन्होंने UPSC की परीक्षा के विकल्प के तौर पर चुना जिससे तैयारी में आसानी हुई. सबसे बड़ी बात ये बताई कि उन्होंने कभी 16 घंटे की पढ़ाई नहीं की. उनकी स्ट्रेटजी सब्जेक्ट सेंट्रिक यानी विषय आधारित थी. वो ये तय करती थीं कि एक दिन में कितने टॉपिक खत्म करने हैं और चाहे जितना समय लगे, टॉपिक खत्म करके ही दम लेती थीं.
कोचिंग मत लें तैयारी करने वाली
उन्होंने UPSC की तैयारी करने वालों को कोचिंग नहीं जाने की सलाह नहीं दी और अगर किसी को तब भी जाना हो तो उनका मानना है कि कोचिंग पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना चाहिए. उन्होंने खुद को ज़्यादा महत्व देने की सलाह दी है. परीक्षा में पूछे गए सवालों का जनाब देने की स्ट्रेटजी के बारे में उन्होंने कहा कि सावल समझना सबसे ज़रूरी होता है और टाइम मैनेजमेंट भी बहुत ज़रूर होता है. फॉर्मेट के लिए उन्होंने इंट्रो, बॉडी और कन्क्लूजन का फॉर्मेट बताया. उन्होंने ये भी कहा कि हर विषय की अच्छी-बुरी दोनों बातें लिखनी चाहिए.
जब हताश हों तब परिवार वालों से करें बात
तपस्या ने कहा कि हताशा से निबटने के लिए दृढ़ निश्चय बहुत ज़रूरी है. वहीं दूसरों से भी प्रेरणा ली जा सकती है. ऐसे मौके पर घर वालों से बात करके अच्छा लगता है. वहीं जब उनसे ये पूछा गया कि क्या वो महिलाओं की स्थिति सुधारने का काम करेंगी तब उन्होंने कहा कि हर ज़िले की अपनी मांग होती है और ज़िले की मांग के हिसाब से वो मुद्दों को हल करेंगी.
लिंग आधारित असमानता को पाटने पर भी करेंगी काम
उन्होंने ये भी कहा कि वो लिंग आधारित असमानता को ठीक करने पर भी काम करने की कोशिश करेंगी. राजनीतिक दबाव से निबटने के लिए उन्होंने इमानदारी का रास्ता अख्तियार करने की बात कही. वहीं, जो इस साल पास नहीं हो पाए उनके लिए तपस्या का कहना है कि वो खुद को पहचाने और उस हिसाब से स्ट्रेटजी बनाए और एक बार ऐसा करने के बाद पूरे तन-मन से तैयारी में लग जाएं.
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