विज्ञापन जगत में धूम मचाने वाली पहली महिला का निधन, हमेशा लीक से हटकर काम किया
बहुत कम महिला अपने कड़े फैसले के बलबूते अपनी पहचान बनाने में सफलता पा सकी हैं. तारा सिन्हा की पहचान कई रूपों में बिल्कुल अलग थी. उन्होंने उस समय विदेश में पढ़ाई की जब कोई सोच भी नहीं सकता था. उन्होंने उस पेशे को अपनाया जिसमें पुरुषों का दबदबा था. मगर तारा सिन्हा जहां भी रहीं अपनी प्रतिभा और योग्यता के बल पर अलग मकाम बनाया.
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नई दिल्ली: तारा सिन्हा एसोसिएट्स की संस्थापक तारा सिन्हा का 88 साल की उम्र में गुरुग्राम में निधन हो गया. विज्ञापन जगत की दुनिया में कदम रखनेवाली तारा पहली भारतीय महिला थीं. पचास के दशक में उन्होंने विज्ञापन एजेंसी की स्थापना ‘क्लेरियन’ नाम से की. महिला होते हुए भी तारा सिन्हा कड़े फैसले लेने में पीछे नहीं हटती थीं. अपने कैरियर में उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. नौकरी के दौरान उन्हें कई बार विदेश भी जाना पड़ा. जहां उन्होंने अपनी योग्यता और प्रतिभा को निखारा. दुनिया की नामी गिरामी कंपनियों में उन्हें काम करने का मौका मिला.
उनका निधन बुधवार को हुआ.
लीक से हटकर काम करने में थी रुचि
तारा सिन्हा की जिंदगी में हमेशा लीक से हटकर काम करने का जज्बा दिखाई देता है. उन्होंने 1950 के दशक में विज्ञापन में डिप्लोमा का कोर्स लंदन से किया. कोर्स पूरा करने के बाद भारत वापसी पर उन्होंने कलकत्ता में एक विदेशी कंपनी बेंनसन में काम किया. 1955 में बेंनसन ने अपना कामकाज कलकत्ता से बंद कर दिया. जिससे तारा और उनके साथ कई लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया. ऐसी परिस्थिति में तारा सिन्हा ने हिम्मत नहीं हारी और 23 साल की उम्र में क्लेरियन की स्थापना की. जिसकी पहली डायरेक्टर वो खुद बनीं.
अपने पति के साथ सिन्हा 1963 में बंबई में रहने चली आईं. जहां उन्होंने क्लेरियन का मार्गदर्शन किया. साथ ही उन्होंने 1973 में दिल्ली में कोका कोला कंपनी में भी काम किया. कोका कोला में उनके जिम्मे भारत में मार्केटिंग ऑपरेशन का देखरेख करना था. 1985 में क्लेरियन से हटाए जाने के बाद उन्होंने तारा सिन्हा एसोसिएट्स की स्थापना की. अपनी मौत से 10 साल पहले तारा सिन्हा टीएसएमई से अलग हो गई थीं. खाली वक्त में उनकी दिलचस्पी अध्ययन और मानवीय कार्यों से जुड़ी हुई थीं. अपने आखिरी दम तक तारा सिन्हा देश विदेश में कई संस्थाओं से जुड़ी हुई रही.
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