Tarun Tejpal: रेप मामले में बंद कमरे में सुनवाई की मांग वाली तरुण तेजपाल की याचिका खारिज, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
SC Hearing in Tarun Tejpal Case: 2013 के रेप के मामले में तरुण तेजपाल को 21 मई 2021 को गोवा की मापुसा अदालत ने बरी कर दिया था. उनके बरी होने के खिलाफ गोवा सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की थी.
Tarun Tejpal Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार (28 नवंबर) को पत्रकार तरुण तेजपाल (Tarun Tejpal) की बंद कमरे में सुनवाई (In-Camera Hearing) का आग्रह करने वाली याचिका खारिज कर दी. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा (PS Narasimha) की बेंच ने तेजपाल की ओर से दायर की गई अर्जी खारिज की. रेप के मामले में तेजपाल को बरी किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिसे लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) में सुनवाई होनी है. इसी सुनवाई को तेजपाल ने बंद कमरे में किए जाने की मांग की थी.
किस मामले में तेजपाल को किया गया था बरी?
तहलका मैगजीन के पूर्व संपादक और सह-संस्थापक तरुण तेजपाल पर आरोप लगा था कि उन्होंने अपनी एक जूनियर महिला सहकर्मी के साथ लिफ्ट में जबरदस्ती करने की कोशिश की थी. उन पर आरोप था कि 7-8 नवंबर 2013 को मैगजीन के एक आधिकारिक कार्यक्रम 'द थिंक फेस्टिवल' के दौरान गोवा के बंबोलिम स्थित ग्रैंड हयात की लिफ्ट में उन्होंने अपनी महिला सहकर्मी पर यौन हमला किया था. तेजपाल को गोवा की मापुसा अदालत ने 21 मई 2021 को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था. 527 पन्नों के अपने फैसले में, विशेष न्यायाधीश क्षमा जोशी ने तेजपाल को संदेह का लाभ दिया था. उन्होंने महिला के गैर-बलात्कार पीड़ित जैसे रवैये और दोषपूर्ण जांच पर व्यापक टिप्पणी की थी.
सुप्रीम कोर्ट का रुख क्यों करना पड़ा तेजपाल को?
रेप के मामले में तेजपाल के बरी होने के खिलाफ गोवा सरकार ने 23 अप्रैल 2022 को बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की थी. मामले में वर्चुअल माध्यम से सुनवाई होनी है. इस पर तेजपाल ने बॉम्बे हाई कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 327 के तहत एक आवेदन दिया था, जिसमें सुनवाई बंद कमरे में किए जाने की मांग की गई थी. हाई कोर्ट ने तेजपाल का आवेदन खारिज कर दिया था. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
तेजपाल के वकीलों की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा
सुप्रीम कोर्ट में तेजपाल की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अमित देसाई पेश हुए. तेजपाल के वकीलों की ओर से सीआरपीसी की धारा 327 का उल्लेख किए जाने पर बेंच ने कहा कि आमतौर आपराधिक मामलों में सुनवाई खुली होनी चाहिए. महिलाओं के मामले में बंद कमरे में कार्यवाही का आदेश दिया जाता है ताकि वे निडर होकर बयान दे सकें, किसी आरोपी या पुरुष के लिए यह नहीं किया जा सकता है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सिब्बल ने बेंच के समक्ष दलील दी कि उनका मुवक्किल मामले में बरी हो गया है, पहली नजर में उसके खिलाफ कुछ भी नहीं है, अगर खुली सुनवाई होगी तो मीडिया ट्रायल होगा. बेंच ने कहा कि कानून ऐसा नहीं है, बंद कमरे में सुनवाई संवेदनशील गवाहों के लिए है. बेंच ने तेजपाल को यह स्वतंत्रता दी कि वह चाहें तो हाई कोर्ट में वर्चुअल के बजाय भौतिक रूप से सुनवाई के लिए आग्रह कर सकते हैं.