Tata-Mistry Case: सायरस मिस्त्री टाटा समूह के अध्यक्ष नहीं बन सकेंगे. देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूहों में से एक टाटा को लेकर 5 साल से चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने टाटा के पक्ष में फैसला दिया है. कोर्ट ने मिस्त्री के नियंत्रण वाले शपूरजी पालनजी ग्रुप को मिलने वाले मुआवजे पर कोई आदेश नहीं दिया है. चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने का है कि इसे लेकर अलग कानूनी प्रक्रिया चलेगी.


2016 में मिस्त्री को चेयरमैन के पद से हटा दिया गया था


मिस्त्री को 2016 में एक बोर्ड मीटिंग में टाटा के चेयरमैन के पद से हटा दिया गया था. उन्होंने इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी. दिसंबर 2019 में NCLAT ने मिस्त्री को हटाने के तरीके को गलत करार दिया. उनकी दोबारा बहाली का आदेश दिया. टाटा ग्रुप इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के आदेश रोक लगा दी थी. आज कोर्ट ने टाटा बोर्ड में हुई कार्रवाई को सही माना और NCLAT के आदेश को रद्द कर दिया.


उधर शपूरजी पालनजी ग्रुप और सायरस मिस्त्री ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उनकी शिकायत थी कि NCLAT ने टाटा ग्रुप के उन नियमों को रद्द नहीं किया, जिनका दुरुपयोग करके मिस्त्री को हटाया गया था. ऐसे में इस बात की आशंका बनी रहेगी कि भविष्य में दोबारा ऐसा हो.


शपूरजी पालनजी ग्रुप मामले पर कोई आदेश नहीं


मिस्त्री के नियंत्रण वाली शपूरजी पालनजी ग्रुप की टाटा ग्रुप के हिस्से टाटा संस में 18.4 प्रतिशत शेयर हैं. शपूरजी पालनजी ने सुप्रीम कोर्ट से यह मांग भी की थी कि उसे टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों में टाटा संस का जो हिस्सा है, उसका 18.4% शेयर दे दिया जाए. लेकिन कोर्ट ने इस पर कोई आदेश नहीं दिया है.


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