Amendment In GST Law: केंद्र सरकार इस समय वस्तु और सेवा टैक्स (GST) के दायरे को बढ़ाने के लिए काम कर रही है. इसके तहत कुछ मामलों को अपराध की श्रेणी से बाहर लाने की कोशिश की जा रही है. इसके अंतर्गत मुकदमा चलाने की समय सीमा बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है. बता दें कि समझौते से खत्म होने वाले अपराधों के लिये दरों को भी कम करने पर सोचा जा रहा है.
अभी माल और सेवा टैक्स चोरी या इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दुरुपयोग करने पर केस चलाने का नियम है. इसके अलावा पांच करोड़ रुपये से अधिक होने पर गड़बड़ी करने वाली इकाई के खिलाफ भी मुकदमा चलाने का प्रावधान है.
वित्त मंत्रालय के सचिव ने क्या कहा
वित्त मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (ASSOCHAM) के एक कार्यक्रम में कहा कि, ‘‘हम करदाताओं के लिये अभियोजन को अधिक सरल और अनुकूल बनाने के लिए जीएसटी अधिनियम के तहत प्रावधान बनाने पर काम कर रहे हैं. केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) अधिनियम के तहत धारा 132 है, जिसके अंतर्गत जीएसटी चोरी और उसे अवैध तरीके से प्राप्त करना अपराध की श्रेणी में आता है. हम अभियोजन चलाने के लिये सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं.’’
समझौते से निपटने वाले मामलों में भी कमी की जाएगी
उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत समझौते से खत्म होने वाले अपराधों के लिये शुल्क भी कम किये जाएंगे. इससे करदाताओं को कानूनी दाव-पेंच में नहीं जाना पड़ेगा. वह अपने अपराधों का निपटारा समझौते के जरिये कर सकेंगे. जीएसटी कानून के तहत समझौते से निपटने वाले अपराधों के लिये टैक्स की रकम का 50 प्रतिशत है. इसमें न्यूनतम राशि 10,000 रुपये है. वहीं अधिकतम टैक्स की रकम 150 प्रतिशत या 30,000 रुपये, जो बहुत ही अधिक है.
वित्त मंत्रालय के सचिव ने क्या कहा
वित्त मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (ASSOCHAM) के एक कार्यक्रम में कहा कि, ‘‘हम करदाताओं के लिये अभियोजन को अधिक सरल और अनुकूल बनाने के लिए जीएसटी अधिनियम के तहत प्रावधान बनाने पर काम कर रहे हैं. केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) अधिनियम के तहत धारा 132 है, जिसके अंतर्गत जीएसटी चोरी और उसे अवैध तरीके से प्राप्त करना अपराध की श्रेणी में आता है. हम अभियोजन चलाने के लिये सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं.’’
समझौते से निपटने वाले मामलों में भी कमी की जाएगी
उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत समझौते से खत्म होने वाले अपराधों के लिये शुल्क भी कम किये जाएंगे. इससे करदाताओं को कानूनी दाव-पेंच में नहीं जाना पड़ेगा. वह अपने अपराधों का निपटारा समझौते के जरिये कर सकेंगे. जीएसटी कानून के तहत समझौते से निपटने वाले अपराधों के लिये टैक्स की रकम का 50 प्रतिशत है. इसमें न्यूनतम राशि 10,000 रुपये है. वहीं अधिकतम टैक्स की रकम 150 प्रतिशत या 30,000 रुपये, जो बहुत ही अधिक है.
निषेधात्मक हैं नियम
अग्रवाल ने कहा, ‘‘जीएसटी में समझौते से निपटने वाले अपराधों को लेकर प्रावधान निषेधात्मक है. इसके अंतर्गत 50 प्रतिशत से लेकर 150 प्रतिशत तक शुल्क देने की जरूरत पड़ती है, जिसका भुगतान करना असंभव है. यही कारण है कि जीएसटी के तहत इस प्रकार से मामले का समाधान शून्य है. इसीलिए पुनर्विचार किया जा रहा है ताकि इसमें कम शुल्क देना पड़े और करदाताओं के लिये यह पहला और बेहतर विकल्प बने.’’
बढ़ा है टैक्स कलेक्शन
राजस्व विभाग के अधिकारी ने यह भी कहा है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों मदों में टैक्स कलेक्शन में बहुत ही ज्यादे बढ़ोतरी देखने को मिला है. इससे करदाताओं के लिये सुधार का रास्ता काफी हद तक साफ हुआ है. जीएसटी कानून में प्रस्तावित बदलावों को माल एवं सेवा कर परिषद की अगली बैठक में रखा जाएगा.
अग्रवाल ने कहा, ‘‘जीएसटी में समझौते से निपटने वाले अपराधों को लेकर प्रावधान निषेधात्मक है. इसके अंतर्गत 50 प्रतिशत से लेकर 150 प्रतिशत तक शुल्क देने की जरूरत पड़ती है, जिसका भुगतान करना असंभव है. यही कारण है कि जीएसटी के तहत इस प्रकार से मामले का समाधान शून्य है. इसीलिए पुनर्विचार किया जा रहा है ताकि इसमें कम शुल्क देना पड़े और करदाताओं के लिये यह पहला और बेहतर विकल्प बने.’’
बढ़ा है टैक्स कलेक्शन
राजस्व विभाग के अधिकारी ने यह भी कहा है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों मदों में टैक्स कलेक्शन में बहुत ही ज्यादे बढ़ोतरी देखने को मिला है. इससे करदाताओं के लिये सुधार का रास्ता काफी हद तक साफ हुआ है. जीएसटी कानून में प्रस्तावित बदलावों को माल एवं सेवा कर परिषद की अगली बैठक में रखा जाएगा.
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