पटना: बिहार में अगर नियत समय से चुनाव होता है तो अब चुनाव होने में दो महीने से भी कम का वक़्त बचा है. ऐसे में राज्य के दो बड़े गठबंधनों में धीरे धीरे सीट बंटवारे की बातचीत भी अब शुरू हो रही है. महागठबंधन में तो शुरुआती दौर की बातचीत भी हो चुकी है लेकिन एक पेंच फंस गया है.


सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव अब ये चाहते हैं कि महागठबंधन के छोटे सहयोगी अपने उम्मीदवार अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर नहीं उतारें. तेजस्वी चाहते हैं कि इन पार्टियों के उम्मीदवार या तो आरजेडी के चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरे या फिर कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर.


सूत्रों के मुताबिक़ इस बारे में इन पार्टियों को इस शर्त के बारे में जानकारी भी दे दी गई है. जीतन राम मांझी के महागठबंधन छोड़ने के बाद अब मुख्य तौर पर उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी महागठबंधन की पार्टियां बची हैं. हालांकि सूत्रों ने बताया कि इस शर्त को लेकर इन पार्टियों की उदासीनता को देखते हुए कांग्रेस पार्टी इसके पक्ष में नहीं दिखाई देती.


ज़ाहिर है तेजस्वी यादव की इस शर्त को लेकर ये पार्टियां सकते में है लेकिन तेजस्वी इस बात को लेकर लगभग कोई समझौता करने के मूड में नहीं हैं. दरअसल तेजस्वी यादव को इस बात का डर सता रहा है कि अगर चुनाव बाद राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के हालात बनते हैं तो इन पार्टियों के विधायकों को एनडीए अपने पाले में कर सकती है. इसकी वजह ये है कि विधायकों की संख्या कम होने के चलते वो आसानी से दल बदल क़ानून का की शर्तों को पूरा कर लेंगे. जबकि आरजेडी या कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने के बाद अभी विधायक ऐसा नहीं कर पाएंगे.


सूत्रों के अनुसार, अगर ऐसा होता है तो आरजेडी क़रीब 150 सीटों जबकि कांग्रेस 80 - 85 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. बाक़ी सभी दलों के उम्मीदवारों को यही दोनों दल अपने अपने चुनाव चिन्हों पर चुनाव लड़वाएंगे.  बिहार में महागठबंधन में सीपीआईएमएल और अन्य लेफ्ट पार्टियों के भी शामिल होने की संभावना है.


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