Revanth Reddy Meet PM Modi: तेलंगाना के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी और डिप्टी सीएम भट्टी विक्रमार्क मल्लू ने मंगलवार (26 दिसंबर) को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार मुलाकात की.
पीटीआई के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री बनने के बाद रेड्डी की मोदी से यह पहली मुलाकात है. सूत्र बताते हैं कि माना जा रहा है कि बैठक में तेलंगाना सीएम ने पीएम मोदी के साथ राज्य की लंबित परियोजनाओं पर विशेष चर्चा भी की. वहीं, केंद्र सरकार से बकाया राशि को जारी करने की मांग की.
सरकार के बनने के बाद पीएम मोदी से पहली मुलाकात
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मुलाकात के बाद तेलंगाना के डिप्टी सीएम भट्टी विक्रमार्क मल्लू ने कहा कि सीएम और डिप्टी सीएम के रूप में चुने जाने के बाद हम पहली बार प्रधानमंत्री से मिले हैं. पीएम मोदी को एक डिटेल एक विस्तृत प्रेजेंटेशन भी दिया गया और उन सभी मुद्दों पर विचार करने का अनुरोध किया. स्टील फैक्ट्री, सिंचाई रिवर नेशनल प्रोजेक्ट और दूसरे कई प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा की गई. खासकर पुनर्गठन बिल को लेकर विशेष आग्रह किया गया है. इस संबंध में लिखित रूप में भी दिया गया है. पीएम ने आश्वास्त किया कि वह इसकी जांच करवाएंगे और जो भी इस दिशा में उचित होगा, उसके प्रयास किए जाएंगे.
कांग्रेस ने तेलंगाना में BRS को बाहर कर बनाई थी सरकार
तेलंगाना में 30 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 64 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. 119 सदस्यीय तेलंगाना विधानसभा में इस बार के चुनाव में कांग्रेस को पिछले चुनाव के मुकाबले 45 सीटों का फायदा हुआ है. राज्य में पूर्ण बहुमत मिलने के बाद कांग्रेस ने वहां पर रेवंत रेड्डी की अगुवाई में सरकार बनाई. रेवंत रेड्डी ने नए सीएम के रूप में 7 दिसंबर को शपथ ली थी.
इस बार के चुनाव में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति को 39 सीटें हासिल हुईं जबकि बीजेपी को 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. हालांकि, बीजेपी ने 2018 के विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार अच्छा प्रदर्शन किया.
तेलंगाना को छोड़ तीन हिंदी भाषी राज्यों में मिली थी हार
कांग्रेस के तेलंगाना को छोड़कर बाकी 3 राज्यों जोकि हिंदी पट्टी के राज्य हैं, उनमें करारी हार का सामना करना पड़ा था. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता गंवानी पड़ी तो मध्य प्रदेश में वह बहुमत हासिल करने से पीछे रह गई. वहीं, आगामी 2024 लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की इन हिंदी भाषी राज्यों में पराजय उसको बड़ा राजनीतिक नुकसान पहुंचा सकती है.