(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जानकारी नहीं होगी तो संसद में क्या बोलेगा सांसद? RTI का जवाब न देने पर HC ने तेलंगाना सरकार से पूछा
Telangana High Court On RTI: कांग्रेस सांसद ने हैदराबाद महानगर विकास प्राधिकरण से दो बार आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी, लेकिन सूचना देने के बजाय उनके खिलाफ मुकदमा कर दिया गया.
Telangana High Court: कांग्रेस सांसद और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को आरटीआई के तहत सूचना न देने पर हाई कोर्ट ने तेलंगाना सरकार और हैदराबाद महानगर विकास प्राधिकरण (HMDA) की खिंचाई की है. हाई कोर्ट ने कहा, एक सासंद को जनता की शिकायतों को उठाने की जरूरत होती है. अगर उसके पास सूचना ही नहीं होगी तो वह संसद में क्या कहेगा. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और एचएमडीए से जवाब देने को कहा है.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने हैदराबाद के नेहरू आउटर रिंग रोड पर टोल ऑपरेट ट्रांसफर मॉडल के तहत बने एक टोलबूथ के अनुबंध के बारे में जानकारी मांगी थी, जो उन्हें नहीं दी गई थी. इसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
20 की जगह 30 साल का पट्टा
रेड्डी ने कोर्ट को बताया, टोलबूथ को 20 साल की सामान्य प्रथा के उलट 30 साल के लिए पट्टे पर दिया गया है. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि आधार मूल्य का खुलासा किए बिना 7380 करोड़ की कम दर पर एक कंपनी को टेंडर दे दिया गया.
रेड्डी ने कोर्ट को बताया कि नीलामी प्रक्रिया की जानकारी के लिए उन्होंने 1 मई, 2023 को आरटीआई डाली थी. 23 मई को उन्होंने जवाब में केवल आंशिक जानकारी दी गई और कहा गया कि बाकी अभी विचाराधीन है.
जवाब देने की जगह लिखा दिया मुकदमा
कांग्रेस सांसद ने 14 जून को एक इसी मामले में एक अन्य आरटीआई डालकर पट्टे की अवधि 30 करने को लेकर जानकारी मांगी. रेड्डी ने कोर्ट को बताया कि अभी दूसरी याचिका लंबित ही थी कि एचएमडीए ने ट्रायल कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया और दावा किया कि वे एचएमडीए के खिलाफ मीडिया में अपमानजनक टिप्पणियां कर रहे थे, जिस पर ट्रायल कोर्ट ने एकतरफा आदेश पारित कर दिया और उन्हें 3 अगस्त तक एचएमडीए के खिलाफ विवादित बयान देने से रोक दिया.
रेड्डी ने आरोप लगाया कि एचएमडीए ने उन्हें बोलने से रोकने के लिए 'बदले की कार्रवाई' के तहत मुकदमा लिखाया. रेवंत रेड्डी ने कहा कि चूंकि एचडीएमए 30 दिन के बाद भी दूसरे आरटीआई आवेदन का जवाब देने में विफल रहा, इसलिए उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने ये भी बताया कि मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त के पद खाली हैं, इस वजह से उन्हें सीधे अदालत आना पड़ा है.
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