TRS Leaders Joins BJP In Delhi: तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के पूर्व सांसद बूरा नरसैय्या गौड़ समेत पार्टी के कई नेता बुधवार (19 अक्टूबर) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, BJP महासचिव और तेलंगाना के प्रभारी तरूण चुग और अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में गौड़ ने BJP की सदस्यता ग्रहण की.


राज्य में तीन नवंबर को मुनुगोडे विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से पहले गौड़ का BJP में शामिल होना उसके लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है. यादव ने दावा किया कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव कितने भी हथकंडे अपना लें, इस उपचुनाव में BJP की जीत सुनिश्चित है. गौड़ ने पिछले दिनों टीआरएस को अलविदा कह दिया था. इसके बाद तेलंगाना प्रदेश BJP अध्यक्ष और सांसद बी संजय कुमार ने उनसे मुलाकात की थी और उन्हें पार्टी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था.


इसलिए छोड़ी पार्टी


गौड़ ने आरोप लगाया था कि टीआरएस का नेतृत्व लोगों की समस्याओं पर बात करने लिए उपलब्ध नहीं होता. उन्होंने कहा था कि उन्हें लगा कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो उनका राजनीतिक जीवन व्यर्थ हो जाएगा. मुनुगोडे विधानसभा उपचुनाव तीन नवंबर को होगा और छह नवंबर को मतगणना होगी.






 


बताया क्यों राजनीति में आए


पार्टी छोड़ते वक्त गौड़ ने कहा था कि वह लोगों के लिए काम करने के वास्ते राजनीति में आए थे और 2014-19 के दौरान लोकसभा के सदस्य रहते हुए उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में राजमार्ग बनवाए और केंद्रीय विद्यालय खुलवाया. संजय कुमार ने दावा किया था कि गौड़ के BJP में शामिल होने से मुनुगोडे उपचुनाव में पार्टी की जीत तय है.


चुनाव चिह्न रद्द कराने की लड़ाई


मुनुगोडे उपचुनाव में कुछ हफ्तों का समय बाकी है, लेकिन टीआरएस अपने सिंबल की तरह दिखने वाले चुनाव चिह्नों को लेकर सतर्क नजर आर रही है. टीआरएस ने अपने आधिकारिक सिंबल कार से मिलते-जुलते चुनाव चिह्नों को हटाने के लिए चुनाव आयोग से गुहार लगाई है. पार्टी का कहना है कि कुछ गैर मान्यता प्राप्त राजनीति दलों को ये चुनाव चिह्न आवंटित हो गए हैं. पार्टी ने कैमरा, चपाती रोलर, टेलीविजन, जहाज, सिलाई मशीन और साबुन पकवान जैसे चुनाव चिह्नों को हटाने के लिए कहा है. पार्टी ने कहा है कि ये ईवीएम में उसके चुनाव चिह्न जैसे ही दिखते हैं.


हाईकोर्ट में भी दाखिल की थी अर्जी


टीआरएस ने तेलंगाना हाईकोर्ट में भी अर्जी दाखिल करते हुए 8 प्रतीकों को हटाने का चुनाव आयोग को निर्देश देने का आग्रह किया था.  हालांकि कोर्ट ने मंगलवार को टीआरएस की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह उपचुनाव में हस्तक्षेप नहीं कर सकते. पार्टी ने दावा किया कि पिछले विधानसभा चुनावों में मिलते-जुलते चुनाव चिह्नों के चलते कम से कम चार उम्मीदवारों की हार हुई, जबकि कुछ विधानसभा क्षेत्रों में जीत का अंतर कम हो गया.


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