सुप्रीम कोर्ट: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 12 याचिकाएं दाखिल, अगले हफ्ते हो सकती है सुनवाई
हाल ही में नागरिकता संशोधन बिल को संसद के दोनों सदनों से पास किया गया. अब इस बिल के खिलाफ सुप्रीम में करीब 12 लोगों ने अब तक याचिकाएं दायर की हैं. इन सभी याचिकाओं पर कब सुनवाई होगी इसकी अभी तारीख तय नहीं है.
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाएं लगातार सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो रही हैं. इन सभी याचिकाओं में नए कानून को समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताया गया है. कहा गया है कि बाहर से आने वाले लोगों को नागरिकता देने में धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला यह कानून संविधान के खिलाफ है. इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में कब सुनवाई होगी, यह अभी तय नहीं है.
अब तक 12 याचिकाएं
मामले में सबसे पहले याचिका केरल की राजनीतिक पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने दाखिल की. इसके बाद तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा, पीस पार्टी, कांग्रेस नेता जयराम रमेश समेत कुल 12 लोग अब तक याचिका दाखिल कर चुके हैं. अब तक इन लोगों ने दायर की हैं याचिकाएं-
- इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
- पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ अय्यूब
- तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा
- कांग्रेस नेता जयराम रमेश
- एनजीओ रिहाई मंच और पीपल अगेंस्ट हेट
- वकील एहतेशाम हाशमी
- जन अधिकार पार्टी के फैजुद्दीन
- त्रिपुरा राजघराने के प्रद्योत देव बर्मन
- पूर्व राजनयिक देव मुखर्जी
- वकील एम एल शर्मा
- ऑल असम स्टूडेंट यूनियन
- असम में नेता विपक्ष देबब्रत सैकिया
संविधान के खिलाफ बताया
इन सभी याचिकाओं में संसद से पास नए कानून को संविधान के खिलाफ बताया गया है. इनमें कहा गया है कि अनुच्छेद 14 के तहत हर व्यक्ति को कानून की नजर में समानता का मौलिक अधिकार हासिल है. सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट इसका हनन करता है. यह कानून भारत के पड़ोसी देशों से हिंदू, बौद्ध, ईसाई, पारसी, सिख, जैन जैसे समुदाय के सताए हुए लोगों को नागरिकता देने की बात करता है. लेकिन इसमें जानबूझकर मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है. भारत का संविधान इस तरह के भेदभाव करने की इजाजत नहीं देता है. इन याचिकाओं में यह मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट तुरंत इस कानून के अमल पर रोक लगा दे.
सुनवाई की तारीख तय नहीं
आज तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की तरफ से चीफ जस्टिस से मामले को तुरंत सुनवाई के लिए लगाने की गुहार की गई. लेकिन उन्होंने आज ही सुनवाई से मना करते हुए उनके वकील को रजिस्ट्रार के पास जाने के लिए कह दिया. ऐसे में अभी सुनवाई की तारीख तय नहीं है. अगले हफ्ते सिर्फ 3 दिनों तक ही सुप्रीम कोर्ट में कामकाज होगा. उसके बाद सर्दी की छुट्टियां शुरू हो जाएंगी. ऐसे में, सभी याचिकाकर्ताओं की कोशिश यही रहेगी कि इन्हीं 3 दिनों में यानी बुधवार से पहले उनकी याचिका पर सुनवाई हो जाए.
एकतरफा आदेश न देने की मांग
इस मामले में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय समेत कुछ लोगों ने कैविएट दाखिल कर दी है. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट उन्हें भी सुने. कानून पर रोक लगाने वाली याचिकाओं पर कोई एकतरफा आदेश पारित न करे. वैसे भी ऐसा नहीं लगता कि कानून के अमल पर रोक लगाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट सरकार की बात सुने बिना देगा. ऐसे में, अगले हफ्ते सिर्फ 3 दिन की कार्रवाई में कानून के अमल पर रोक लगाने जैसा आदेश आ जाएगा, इसकी उम्मीद कम ही नजर आती है. इस बात की गुंजाइश ज़्यादा लगती है कि मामला विस्तृत सुनवाई के लिए जनवरी के महीने में लगाया जाएगा.
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