नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कोरोना महामारी को विभीषिका नहीं, बल्कि एक सुधारक के तौर पर देखे जाने की वक़ालत की है. नायडू ने अपने फेसबुक पेज पर कोरोना काल के अनुभवों को साझा करते हुए लोगों से 10 सवाल भी पूछे हैं. इन सवालों के ज़रिए नायडू ने पूछा है कि क्या लोगों ने कोरोना से सही सबक सीखने की कोशिश की है ?
वेंकैया नायडू ने लोगों से इन सवालों का जवाब ढूंढने को कहा है . नायडू के मुताबिक़ कोरोना अपने जीवन का मूल्यांकन और उसकी समीक्षा करने का मौका है और उनकी ओर से पूछे गए ये 10 सवाल ऐसा करने में लोगों की मदद करेगा.
क्या है महामारी का मूल कारण ?
नायडू ने सबसे पहला सवाल महामारी के मूल कारण को लेकर पूछा है . उन्होंने फेसबुक पर लिखा - " क्या आपने महामारी का मूल कारण समझने की कोशिश की "? नायडू का कहना है कि भौतिक महत्वाकांक्षाओं की दौड़ में हम प्रकृति के साथ संतुलन को भूल गए हैं . उनका कहना है कि लोग भूल गए हैं कि प्रकृति को इंसान की नहीं , बल्कि इंसान को प्रकृति की ज़रूरत है . लोगों की इस सोच ने कि पूरी प्रकृति इंसानों के अधिकार में है , ने बाक़ी जीवों का बहुत नुकसान पहुंचाया है . नायडू का कहना है कि इस सवाल का जवाब इसलिए ज़रूरी है ताकि लोग भविष्य में अपनी पुरानी आदतें बदलने को मजबूर हों .
क्या बदलाव के लिए तैयार हैं हम ?
उपराष्ट्रपति ने लोगों से अपने जीवन में कोरोना महामारी से सबक लेते हुए अपने जीवन में बदलाव लाने की ज़रूरत बताई है. लेकिन उन्होंने पूछा है कि "क्या आप कोरोना पूर्व के अपने जीवन में बदलाव करने के लिए तैयार हैं, "? वेंकैया नायडू ने लोगों से जीवन की प्राथमिकताएं बदलने की अपील की है. उनका कहना है कि अब लोगों की ज़िंदगी पहले की तरह दौड़ भाग में नहीं बीत सकती और इसमें ठहराव की भी ज़रूरत है. नायडू के मुताबिक़ अब अच्छे स्वास्थ्य को ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी समझना पड़ेगा .
आठ अन्य सवाल
इसके अलावा वेंकैया नायडू ने जो आठ अन्य सवाल पूछे हैं वो इस प्रकार हैं.
- क्या आपने जीवन के लक्ष्य और अर्थ को फिर से परिभाषित किया है ?
-क्या आपने समाज में अपनी भूमिका निभाने में आ रहे अंतर को पहचाना है ?
-क्या आपने कोरोना से सीखकर भविष्य की दूसरी चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने को तैयार कर लिया है ?
-क्या आपने जीवन के सही धर्म को पहचाना है ?
-क्या आपने जीवन के आध्यात्मिक पहलुओं को पहचाना है ?
-लॉकडाउन के दौरान आपने जीवन के किसी पक्ष में कमी महसूस की ?
-क्या आपको ऐसा लगा कि समाज के सभी लोग समान भी हैं और असमान भी ?
-कोरोना महामारी विभीषिका है या सुधार का अवसर ?
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