नई दिल्ली: आर्थिक मंदी और सरकार की कथित मज़दूर विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ देश के दस मज़दूर संगठन अब सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं. कांग्रेस और वामदलों से जुड़े इन संगठनों ने अगले साल 8 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल का फ़ैसला किया है. इन संगठनों का आरोप है कि आर्थिक मंदी के लिए बाकी बातों के अलावा मोदी सरकार की नीतियां भी ज़िम्मेदार हैं. जिन मज़दूर संगठनों ने हड़ताल का आह्वान किया है उनमें अन्य के अलावा कांग्रेस से जुड़े INTUC, सीपीएम से जुड़े CITU और सीपीआई से जुड़े AITUC जैसे संगठन शामिल हैं.



बीएमएस साथ नहीं देगा


हालांकि आरएसएस से जुड़ा और देश का सबसे बड़ा मज़दूर संगठन भारतीय मजदूर संघ ( BMS ) इन मज़दूर संगठनों का साथ नहीं देगा. संगठन के सूत्रों का कहना है कि 8 जनवरी की हड़ताल राजनीति से प्रेरित है लिहाजा इसका कोई प्रभाव नहीं होगा.


15 नवम्बर को अलग से होगी बीएमएस की बैठक


वैसे मोदी सरकार के लिए ज़्यादा बड़ा चिंता का सबब ये है कि आरएसएस से जुड़ा संगठन भारतीय मजदूर संघ ( BMS ) भी उनकी कुछ नीतियों के ख़िलाफ़ खड़ा होने की तैयारी में है. बीएमएस सूत्रों का कहना है कि 15 नवंबर को संगठन की ओर से दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई है. बैठक में लाभ कमाने वाली सरकारी कम्पनियों के विनिवेश के मोदी सरकार के फ़ैसले का विरोध किए जाने की संभावना है. इसी बैठक में संगठन की ओर से इस मसले पर अपनी आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा.


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