Ganderbal Attack: गांदरबल आतंकी हमले में 7 लोगों की हत्या के मामले में बड़ी जानकारी सामने आई है. ABP न्यूज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मौके से मिली गोलियां MP6 राइफल की हैं, जो आमतौर पर चीन और तुर्की में बनती हैं. इससे पता चलता है कि हमलावर विदेशी आतंकवादी थे, जो पुंछ या गुरेज से घुसपैठ कर जम्मू कश्मीर में आए होंगे. अगर वे स्थानीय होते, तो वे AK या 9mm पिस्तौल का इस्तेमाल करते, जो वे आम तौर पर करते हैं.


आतंकवादियों ने इस हमले की टाइमिंग भी महत्वपूर्ण समय में रखी. उन्होंने यह हमला सभी नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण से ठीक एक रात पहले किया. इसके पीछे उनका मकसद ये बताना हो सकता है कि घाटी से अभी उग्रवाद खत्म नहीं हुआ है. यह अब भी मौजूद है. इस हमले में आतंकवादियों का मकसद स्पष्ट रूप से केवल गैर स्थानीय लोगों को निशाना बनाना था, लेकिन कुछ स्थानीय लोग भी इस हमले में मारे गए.


किसने किया हमला?


गांदरबल हमले की जिम्मेदारी TRF (द रेसिस्टेंस फ्रंट) ने ली है. TRF को भारत में आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता दी गई है. भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इसे पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने स्थापित किया है, जिसमें लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के कैडरों को मिलाया गया है. यह संगठन कश्मीरी पंडितों, कश्मीरी मुस्लिमों और हिंदुओं की हत्या से जुड़ी कई घटनाओं में शामिल रहा है.


राज्य में अस्थिरता और सरकारी योजनाओं में रूकावट की कोशिश


2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के हटने के बाद TRF की गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं. अक्सर हमलों की जिम्मेदारी लश्कर के बजाय TRF लेता है. TRF का मुख्य मकसद 2020 के बाद से टारगेट हत्याओं की कई घटनाओं में शामिल होना है. यह संगठन कश्मीरी पंडितों, प्रवासी श्रमिकों, सरकारी अधिकारियों, नेताओं और सुरक्षा बलों को अपना निशाना बनाता है. धारा 370 के निरस्त होने के बाद यह अस्थिरता फैलाने और कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास से जुड़ी सरकारी योजनाओं को बाधित करने की कोशिश कर रहा है.


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