आतंकी मुठभेड़ में शहीद हुए जवान सतीश, धर्मेंद्र और आशुतोष को आखिरी सलाम
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नई दिल्ली: मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा में हुए आतंकी हमलों में शहीद हुए सेना के जवानों को आखिरी विदाई दी गई. आतंकियों के साथ हुए मुठभेड़ में सेना के तीन जवान शहीद हो गए थे. इस मुठभेड़ में सेना के जवानों ने एक आतंकी को मार गिराया था.
हरियाणा के मेजर सतीश दहिया की शहादत को सलाम
आतंकियों के हमदर्दों की पत्थरबाजी की वजह से सेना के घायल मेजर सतीश दहिया को बेस हॉस्पिटल पहुंचने में देरी हुई जिससे उन्हें बचाया नहीं जा सका. सतीश घर की इकलौती संतान थे और उनकी एक बेटी है, जिसकी उम्र महज ढ़ाई साल है. शहीद सतीश हरियाणा के नारलौल के गांव बनिहाड़ी के रहने वाले थे. सेना के विशेष हेलीकॉप्टर से शहीद मेजर सतीश दहिया का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा तो आसपास के कई गांव के लोग एक बहादुर के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े.
बेटी को कभी पिता की कमी महसूस नहीं होने दूंगी: शहीद सतीश की पत्नी
शहीद मेजर की पत्नी का कहना है कि वो अपनी बेटी को पिता की कमी महसूस नहीं होने देगी. सतीश दहिया जम्मू-कश्मीर के हिंदवाड़ा में उस एनकाउंटर की अगुवाई कर रहे थे जिसमें 3 आतंकियों को ढेर कर दिया गया था. मेजर सतीश दहिया 2009 में सेना में भर्ती हुए थे. सतीश 30 राष्ट्रीय रायफल्स में मेजर के पद पर थे. दहिया कई आतंकवाद विरोधी अभियानों के हिस्सा रह चुके थे. सतीश की बहादुरी को देखते हुए उन्हें वीरता पुरस्कार से भी नवाजा गया था.
बेटे की शहादत पर गर्व है: शहीद धर्मेंद्र के पिता
बांदीपुरा एनकाउंटर में शहीद हुए जवान धर्मेंद्र कुमार साह उत्तराखंड के नैनीताल के थे . धर्मेंद्र के छोटे भाई कहते हैं कि अगर उन्हें मौका मिले तो वो सेना के जरिए देश के काम आना चाहते हैं . बड़े भाई धर्मेंद्र की शहादत पर उनके छोटे भाई का कहना है कि वो बदला लेना चाहता है उन आतंकियों से जिनकी गोली ने उनका भाई छीन लिया. धर्मेंद्र के पिता किसान हैं और घर का खर्च बमुश्किल ही चल पाता है . ऐसे में उनका बेटा धमेंद्र परिवार की रीढ़ की तरह था लेकिन उसके देश के लिए शहीद होने का उन्हें गर्व है.
हर लोगों की जुबान पर हैं शहीद धर्मेंद्र का नाम
देश की सुरक्षा के लिए अपने जान की बाजी लगाने वाले सेना के जवान धर्मेंद्र कुमार शाह की बहादुरी की इलाके भर में चर्चा है. हर लोगों की जुबान पर उनका नाम है. धर्मेंद्र कुमार शाह 2012 में सेना में भर्ती हुए थे. वो सेना में पैराट्रुपर के पद पर तैनात थे.
शहीद आशुतोष यादव के गांव में शोक की लहर
जौनपुर जिले के बदलापुर थाना क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव के आशुतोष यादव मंगलवार की भोर श्रीनगर के बांदीपुरा में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए. खबर लगते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई. हालांकि परिजनों को अब तक इसकी खबर नहीं लग सकी है. आज देर रात उनका शव पैतृक आवास पहुंचने की संभावना है.
श्रीनगर के बांदीपुर क्षेत्र में 111 राकेट रेजीमेंट में सिपाही थे शहीद आशुतोष यादव
बदलापुर थाना क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव के स्वर्गीय लाल साहब यादव के सबसे बड़े बेटे आशुतोष यादव श्रीनगर के बांदीपुर क्षेत्र में 111 राकेट रेजीमेंट में सिपाही थे. मंगलवार की सुबह सेना के जवानों और आतंकवादियों में मुठभेड़ शुरू हो गई. इस दौरान वे शहीद हो गए. आशुतोष की अप्रैल 2016 में ही मधु के साथ शादी हुई थी. परिवार में मां शीला देवी के अलावा छोटा भाई संदीद के अलावा दो बहनें पूनम और पूजा हैं. हालांकि अभी तक परिजनों को घटना की जानकारी नहीं है. शव बुधवार देर रात तक पहुंचने की संभावना है.
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