ISIS Magazine: दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकी संगठन ISIS (Terrorist Organization ISIS) ऑनलाइन मैगजीन को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है. इसकी मदद से नौजवानों को बरगलाने और उनका ब्रेनवाश करने की कोशिश की जा रही है. ISIS अपनी इस मैगजीन की मदद से अल्लाह की शहादत के नाम पर आतंकियों की जीवनी रखने का काम कर रहा है. इसके जरिए वो लोगों के बीच आतंकियों के जिहाद की कहानी बुनकर उन्हें अमर बताने की चाल चल रहा है. 


बता दें कि, इस समय जांच एजेंसियों की परेशानी की वजह आईएसआईएस की मैगजीन वॉइस ऑफ खुरासान (Voice of Khorasan) बनी हुई है. एबीपी न्यूज़ के हाथ लगी इस ISIS की मैगजीन वॉइस ऑफ खुरासान के सितंबर एडिशन में ISIS ने इस्माइल अल हिंद नाम के आतंकी का जिक्र किया है. एजेंसी के सूत्रों ने दावा किया है कि इसमें संगठन से जुड़े लड़कों की कहानी को शहादत के रूप में बताकर लोगों को अपने साथ जोड़ने का काम किया जा रहा है. 


जांच एजेंसियों की कोशिश है कि ISIS के इस मॉड्यूल को जल्द से जल्द रोका जा सके. इस मैगजीन के मुताबिक इस्माइल अल हिंद ने 26-11 के ताज हमले की मुख्य प्लानर के रूप में मुख्य भूमिका निभाई है. इसके अलावा उसने आईएसआईएस के लड़ाकों को ट्रेनिंग देने और ISIS के रिसर्च एक डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में अहम भूमिका निभाई. 


मैगजीन के मुताबिक कौन है इस्माइल अल हिंद ?


मैगजीन में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश का रहने वाला हफीद मुंबई में रहने लगा था. उसके कई बच्चे थे, जिसमें से एक था इस्माइल अल हिंद, जोकि साल 1984 में पैदा हुआ था. इस्माइल ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई मुंबई से ही की. वह बहुत ही कम लोगों से बातचीत करता था. मैगजीन में यह भी दावा किया गया है कि इस्माइल हिंदू बहुसंख्यक वाले इस देश में मुसलमानों की मदद के लिए फंड इकट्ठा करता था. 


मैगजीन में इस्माइल को लेकर कई झूठी बातें


आतंक की इस मैगजीन में आगे बताया है कि इस्माइल कश्मीर में कुछ लोगों के करीब था और वो लोग लश्कर-ए- तैयबा से जुड़े थे. इस्माइल उनके साथ कुछ वक्त के लिए था, लेकिन कश्मीर घाटी में फोर्स इस्माइल के घर तक पहुंच गई. उन्हें झासा देकर वह फरार हो गया और किसी के हाथ नहीं लगा. इसके बाद साल 2008 के 26-11 के आतंकी हमले की साजिश में इस्माइल ने ही पूरी प्लानिंग को अंजाम दिया था. इसके अलावा भी इस मैगजीन में कई ऐसी बातें बताई गई हैं, जो सच नहीं हैं. 


युवाओं को बहका रही है मैगजीन
 
यहां तक की इस मैगजीन में यह भी लिखा है कि इस्माइल के मुताबिक अल्लाह की टेरिटरी में जाने के लिए हिजरा करना जरूरी था, लेकिन रास्ता आसान नहीं था इसलिए वो वापस पाकिस्तान लौटा और कुछ वक्त तक पाकिस्तान में छिपा रहा. उसके लिए यह दौर काफी मुश्किल था, लेकिन फिर खुरासान में इस्लामिक स्टेट ने जगह बनाई और फिर पाकिस्तान की जेल से निकलने के बाद वो किसी तरह से खुरासान पहुंचा. यहां वह लोगों को टेक्निकल ट्रेनिंग देने लगा और रिसर्च एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के लिए काम करने लगा.  इसमें कहा गया है कि 16 जुलाई 2019 को तौहीदाबाद में अपने परिवार को खाना देने के लिए इस्माइल गया था, लेकिन तभी अमेरिकन सेना ने ड्रोन हमले किए. इस दौरान इस्माइल अल हिंद समेत 10 लड़ाके मारे गए. 


ये भी पढ़ें: 


UNHRC: भारत का पाकिस्तान को करारा जवाब, आतंक की फैक्ट्री चलाने वाले के लिए मानवाधिकार की बात करना छलावा


72 घंटों में यूक्रेन को सरेंडर करा देने का पुतिन का दावा जानिए क्यों हो गया फुस्स?