आतंकी यासीन मलिक के लिए दो जांच एंजेसी आमने-सामने, NIA कोर्ट ने कहा- हाजिर हों, विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंची CBI
एक मामले की सुनवाई में हिस्सा लेने के लिए यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट लाया गया है. कोर्ट ने कहा कि यासीन को अदालत लाने की जरूरत नहीं थी, उसकी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिग से भी हो सकती है.
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Yasin Malik Case: कश्मीर के अलगाववादी नेता और कथित आतंकी यासीन मलिक को लेकर देश की दो शीर्ष जांच एजेंसिया एनआईए और सीबीआई आमने-सामने हैं. एक तरफ जहां एनआईए अदालत ने 1990 में एयरफोर्स के दो अधिकारियों की हत्या के मामले में उसको जम्मू और कश्मीर में पेश होने को कहा है तो वहीं इस फैसले के विरोध में सीबीआई सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है.
इसी मामले की सुनवाई के लिए आज (21 जुलाई) को यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट लाया गया था. जहां पर अदालत ने उसको अगली तारीख दी है. दरअसल, 1990 में वायुसेना अधिकारियों की हत्या के मामले में जम्मू-कश्मीर की NIA कोर्ट ने मलिक को क्रॉस एग्जामिनेशन के लिए पेश करने को कहा है. CBI इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. उसका कहना है कि मलिक की जम्मू-कश्मीर की कोर्ट में पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग से हो.
सुप्रीम कोर्ट लाने की नहीं थी जरूरत
मलिक इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में खुद पेश होकर पक्ष रखना चाहता है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि यासीन मलिक को कोर्ट में लेकर आने का कोई आदेश नहीं दिया गया था. अगली बार अगर जरूरी हो तो उसे जेल से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपनी बात रखने दिया जाए, साथ ही उन्होंने इस मामले को किसी दूसरी बेंच में लगाने का आदेश दिया है.
कौन है यासीन मलिक?
यासीन मलिक एक अलगाव वादी नेता है जोकि 1990 के दौरान कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था. फिलहाल, 57 वर्षीय मलिक पर 2017 में आतंकियों की फंडिंग करने का आरोप लगा था. इस सिलसिले में एनआईए अदालत ने उसे 24 मई, 2022 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. जेकेएलएफ प्रमुख पर आतंकी फंडिंग के अलावा दिसंबर 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण और जनवरी 1990 में भारतीय वायु सेना के अधिकारियों की हत्या के मामले में भी मुकदमा चल रहा है.
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