महाराष्ट्रः उद्धव सरकार ने भीमा कोरेगांव से जुड़े 348 मामले वापस लिए
महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार ने भीमा कोरेगांव, मराठा आंदोलन और आरे आंदोलन के मामले में बड़ा फ़ैसला लिया है. सरकार ने इन सभी मामलों से जुड़े कुल 808 केस वापस ले लिए हैं.

मुम्बईः महाराष्ट्र की महाविकास गठबंधन की सरकार ने भीमा कोरेगांव, मराठा आंदोलन और आरे आंदोलन के मामले में बड़ा फ़ैसला लिया है. राज्य सरकार ने भीमा कोरेगांव और मराठा आरक्षण के दौरान हुए आंदोलन के मामले में कुल 808 केस वापस ले लिए हैं. इसके साथ ही बचे हुए मामलों की जांच के बाद उनपर भी योग्य निर्णय लिया जाएगा.
सरकार के इस निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि 'भीमा-कोरेगांव मामले में 649 मामलों में से 348 और मराठा आंदोलन के 548 मामलों में से 460 को वापस ले लिया गया है. इसी तरह, आरे आंदोलन के अपराधों को वापस ले लिया गया है. इसके अलावा, शेष अपराधों को वापस लेने की प्रक्रिया चल रही है. वहीं गृह मंत्री अनिल देशमुख ने स्पष्ट किया कि जानलेवा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले अपराधियों को बरामद नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही देशमुख ने यह भी कहा कि आंदोलनकारियों, किसानों और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के आंदोलन उनके अपराधों को वापस ले लेंगे.
महाराष्ट्र में महाविकास गठबंधन की सरकार आने के बाद, भीमा-कोरेगांव मामले की जांच पर फिर से चर्चा हुई. इसका कारण भीमा कोरेगांव मामले की जांच पर शरद पवार द्वारा उठाया गया सवाल था. भीमा-कोरेगांव जांच के संबंध में महाराष्ट्र गृह मंत्रालय ने 23 जनवरी, 2020 को एक समीक्षा बैठक की थी. इस बैठक के बाद शरद पवार ने भीमा-कोरेगांव मामले की जांच पर सवालिया निशान उठाया था. इसके बाद एसआईटी जांच की मांग की गई थी. पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस मामले में एक पत्र भी लिखा था.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में शरद पवार ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. शरद पवार ने अपने पत्र में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर पुलिस का इस्तेमाल कर झूठे मुक़दमे दर्ज करने का आरोप लगाया था. शरद पवार के पत्र के बाद गृह मंत्री अनिल देशमुख, शरद पवार और मुख्यमंत्री उद्धव छाकरे की बैठक हुई थी. वहीं पूरे मामले में केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए 24 जनवरी को एनआईए को जांच सौंप दी थी. जिसके बाद इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार में काफी विवाद देखने को मिला था.
मामले की जांच के लिए एनआईए की टीम पुणे गई. लेकिन राज्य सरकार ने यह कहते हुए एनआईए को दस्तावेज देने से इनकार कर दिया. जिस पर राज्य सरकार का कहना था कि हमें केंद्र से कोई पत्र नहीं मिला है. वहीं शरद पवार के विरोध को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जांच एनआईए को सौंपने के आदेश दे दिए थे. मुख्यमंत्री के इस निर्णय से शरद पवार के साथ साथ एनसीपी और कांग्रेस के नेता नाराज़ हो गए थे. इसी नाराजगी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री ने मौजूदा मामले वापस लेने के निर्देश दे दिए हैं.
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