Thaipusam Festival In Tamil Nadu: किसी ने अपने गालों के आर-पार त्रिशूल कर रखा है तो किसी ने पूरे शरीर में लंबी लंबी कील चुभो रखी है. यह नजारा आजकल तमिलनाडु के मदुरई के पलानी मुरुगन मंदिर में देखने को मिल रहा है. मदुरई से करीब 150 किलोमीटर दूर पलानी की ओर जा रही पदयात्रा करने वाले लोगों की लंबी कतारें लगी है. यहां लोग ढोल-नगाड़े बजाकर नंगे पांव नाचते है. कोई हरे रंग की धोती में होता है तो कोई भगवा रंग की धोती पहने हुए. 


आस्था की इस भीड़ में कुछ लोग ऐसे दिखे जिनके गालों से आर-पार 4 फीट लंबी लोहे की रॉड निकली हुई थी और दोनों किनारों के छोर पर नींबू लगा हुआ था. रॉड को दोनों तरफ से लोगों ने पकड़ रखा था. शख्स के गालों पर खून लगा था और उसका मुंह खुला हुआ था. रोंगटे खड़े करने वाला सीन देखकर हर कोई डर जाए, लेकिन आस्था के नाम पर यहां कई लोग ऐसा करते दिख जाते हैं. 


अनगिनत लोग दिखा रहे थे ऐसे करतब
करुप्पास्वामी नाम के शख्स ने भी ऐसा ही करतब किया. करुप्पास्वामी तीन किलोमीटर तक ऐसे ही पैदल चलकर मुरुगन मंदिर पर पहुंचे. इसके बाद दो-तीन लोग मिलकर उनके गालों से रॉड निकाल देते है. रॉड निकलने के बाद उनके चेहरे के आर पार छेद दिखाई दे रहा था, जो देखने में बहुत डरावना था. रॉड के बाहर निकलते ही लोग करुप्पास्वामी के पैर छूने लगते है और जयकारे लगाने लगते है. वहीं एक दूसरे शख्स ने पूरे शरीर में ही कील चुभो रखी थी. होठों के आर-पार त्रिशूल निकाल रखा था. ऐसे करतब एक दो लोग नहीं बल्कि अनगिनत लोग दिखा रहे थे. 


आखिर क्यों करते हैं लोग ऐसा
भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय को दक्षिण भारत में भगवान मुरुगन के नाम से जाना जाता है. ये सभी लोग कार्तिकेय के भक्त है. ऐसी मान्यता है कि कठिन साधना के बाद भगवान मुरुगन के दर्शन से उनकी सारी मन्नतें पूरी हो जाती हैं. हर साल दिसंबर, जनवरी और फरवरी यहां हर दिन ऐसा ही उत्सव को माहौल होता है. उत्सव में इतनी भीड़ होती है कि पैर रखने की जगह भी मुश्किल से मिलती है.


48 दिनों के कठिन व्रत से पड़ता है गुजरना
मुरुगन मंदिर के धर्मापूर्ण से मिली जानकारी के अनुसार जो भी यहां आना चाहता है उसे 48 दिनों के कठिन व्रत से गुजरना पड़ता है. जिस दौरान उसे 48 दिन पहले नॉनवेज और शराब छोड़नी होती है. अपनी पत्नी से संबंध भी नहीं बना सकता, झूठ बोलना बंद करना होता है, जमीन पर सोना होता है, सुबह 4 बजे उठकर ठंडे पानी से स्नान करना होता है और अपने गांव या इलाके के मुरुगन मंदिर में हर रोज पूजा करनी होती है. मंदिर के पुजारी उसे रुद्राक्ष की माला पहनाते हैं, जिसे उसे हमेशा धारण करना होता है. 48 दिनों तक वह चप्पल या जूता नहीं पहना सकता है, उसे नंगे पैर ही रहना होता है.


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