नई दिल्ली: अमरीकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपी एक ख़बर में दावा किया गया था कि फेसबुक ने जानबूझकर बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठनों के नेताओं के वैसे पोस्ट को नहीं हटाया जो समाज में घृणा पैदा करने यानि हेट स्पीच की श्रेणी में आती थीं. फेसबुक को लेकर अमरीकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने जब से ख़बर छापी है, भारत में इस विषय पर राजनीतिक घमासान बढ़ता ही जा रहा है. 14 सितंबर से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र में तो इसपर जमकर हंगामा होगा ही लेकिन इसकी बानगी आज ही देखने को मिल सकती है.


क्या है बैठक का एजेंडा


'मिनी संसद' के नाम से जानी जाने वाली संसद की स्थायी समिति में आज समिति के बीजेपी और कांग्रेस सदस्यों के बीच नोंक झोंक होने की संभावना है. वजह ये है कि आज सूचना प्रौद्योगिकी से जुडी संसदीय स्थायी समिति की बैठक में फेसबुक के भारत में मौजूद अधिकारियों को बुलाया गया है. बैठक का एजेंडा 'नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और सोशल मीडिया या ऑनलाइन मीडिया के दुरुपयोग को रोकना' है, लेकिन फेसबुक को लेकर उठे विवाद के चलते बैठक अहम हो गई है.


समिति की बैठक से एक दिन पहले ही सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को एक पत्र लिखकर माहौल गरमा दिया है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की ख़बर के उलट रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक को निष्पक्ष रहने की सलाह देते हुए उसपर कई आरोप भी जड़ दिए. प्रसाद ने कहा है 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भारत के फेसबुक प्रबंधन द्वारा न सिर्फ कुछ फेसबुक पेज को हटा दिया गया बल्कि उसकी पहुंच भी कम कर दी गई.


रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक कर्मचारियों पर लगाया बड़ा आरोप


रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक के कर्मचारियों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई कैबिनेट मंत्रियों को अपशब्द कहने का गम्भीर आरोप भी लगाया है. अमरीकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपी एक ख़बर में दावा किया गया था कि फेसबुक ने जानबूझकर बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठनों के नेताओं के वैसे पोस्ट को नहीं हटाया जो समाज में घृणा पैदा करने यानि हेट स्पीच की श्रेणी में आती थीं.


ख़बर छपने के बाद कांग्रेस ने सीधा बीजेपी पर हमला बोल दिया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर फेसबुक पर भारत के लोकतंत्र पर हमला करने वाला बताते हुए कहा कि फेसबुक ने झूठ और नफ़रत फैलाने का काम किया है. उसके बाद संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने फेसबुक के भारत में मौजूद प्रतिनिधियों को समिति के सामने तलब कर लिया. इनके बाद शुरू हुआ पत्रों का दौर.


थरूर-निशिकांत दुबे में हो चुकी है तनातनी


समिति में बीजेपी के सदस्य निशिकांत दुबे और राज्यवर्धन राठौर ने स्पीकर को पत्र लिखकर शिकायत की कि थरूर द्वारा फेसबुक के प्रतिनिधियों को बुलाना समिति के नियमों के ख़िलाफ़ है. बीजेपी सांसदों ने थरूर पर राहुल गांधी के इशारों पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि समिति में विचार किए बिना किसी को समिति में नहीं बुलाया जा सकता.  शशि थरूर ने भी निशिकांत दुबे पर नियमों के मामले में गुमराह करने का आरोप लगाते हुए स्पीकर को पत्र लिखा और उनके ख़िलाफ़ विषेशाधिकार हनन का नोटिस दे दिया. पलटवार करते हुए निशिकांत दुबे ने भी स्पीकर को पत्र लिखकर थरूर के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दे दिया.


समिति में एनडीए सदस्यों का ही पलड़ा भारी


मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति में कुल 31 सदस्य होते हैं हालांकि इस समिति में एक स्थान खाली है. 30 सदस्यों में 21 लोकसभा के सदस्य हैं जबकि 9 राज्य सभा के. लोकसभा के सदस्यों में निशिकांत दुबे, राज्यवर्धन सिंह राठौर और लॉकेट चटर्जी समेत कुल 12 सदस्य बीजेपी के सांसद हैं, जबकि कांग्रेस की ओर से महज अध्यक्ष शशि थरूर और कार्ति चिदंबरम ही कांग्रेसी सांसद हैं. अगर एनडीए के नज़रिए से देखें तो 30 में से कुल 21 सदस्य उसी के हैं जबकि बाक़ी बचे 9 सदस्य यूपीए के हैं. साफ़ है कि बाक़ी समितियों की तरह ही इस समिति में भी एनडीए सदस्यों का ही पलड़ा भारी है.


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