Exodus of Kashmiri Pandits: दक्षिण कश्मीर के शोपियां में अधिकारियों ने कश्मीरी पंडितों के पलायन की बात को सिरे से खारिज कर दिया. शोपियां के सूचना और जनसंपर्क विभाग के अकाउंट में दावा किया गया कि कश्मीरी अप्रवासी हिंदू आबादी के पलायन की खबरें निराधार है. तो दूसरी ओर जम्मू में डेरा डाले कश्मीर पंडित अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने अपने ही घर अर्थात घाटी में लौटने से इनकार कर दिया है.
घाटी में ना लौटने का लिया संकल्प
बता दें कि कश्मीरी पंडित अश्विनी कुमार भट्ट के भाई पूरन कृष्ण भट्ट की 16 अक्टूबर को आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. इसके कारण परिवार ने कश्मीर से जम्मू की ओर पलायन कर लिया है. अश्विनी कुमार भट्ट घाटी में कभी भी वापस न लौटने का संकल्प कर चुके हैं. जम्मू में संवाददाताओं से कहा कि वह कश्मीर घाटी से पलायन कर चुके हैं और घाटी में कभी भी नहीं लौटेंगे. उन्होंने कहा कि हम श्रीनगर से चले गए हैं. मैं अपने बच्चों की कसम खाता हूं जीवन की आखिरी सांस तक घाटी में नहीं लौटूंगा और अपने बच्चों की और इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि ना तो वह कश्मीर लौटेंगे और ना ही अपने बच्चों को वहां जाने देंगे.
प्रशासन बताएं पलायन को निराधार
एक तरफ घाटी में अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडित आतंकवादियों के डर से पलायन कर रहे हैं तो वहीं प्रशासन इस पलायन को निराधार बता रहे हैं. शोपियां के अधिकारियों ने ट्विटर पर दावा किया कि कश्मीरी आप्रवासी हिंदू आबादी के पलायन की खबरें सब निराधार है. उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा गांव में उचित और कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. यहां तक कि कश्मीरी आप्रवासी हिंदू बस्तियों और गांवों के अन्य इलाकों में भी इसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था की गई है.
आतंकवादियों ने मचाया कोहराम
कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की स्थिति बेहद गंभीर है वहां आए दिन आतंकवादियों के द्वारा हत्या की जा रही हैं. जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा हाल ही में कई लक्षित घटनाओं को अंजाम दिया गया है. जिसके बाद वहां कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू हो गया है. 10 कश्मीरी पंडित परिवार डर के कारण शोपियां जिले में स्थित अपना गांव छोड़कर मंगलवार को जम्मू पहुंच गए. हाल ही में मौत की धमकी का सामना करने वाले चौधरी गुंड गांव के एक व्यक्ति ने कहा कि 35 से 40 कश्मीरी पंडितों वाले 10 परिवार डर के कारण हमारे गांव से बाहर चले गए हैं.
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