Ram Mandir Construction: अयोध्या (Ayodhya) में भगवान राम के भव्य और दिव्य मंदिर के निर्माण तेजी से चल रहा है. मंदिर निर्माण समिति की कोशिश है कि दिसंबर 2023 तक मंदिर के गर्भ गृह का काम पूरा कर भगवान राम को उनके स्थाई घर में प्रवेश करा दिया जाए. भगवान राम करीब 500 सालों से पहले टेंट में रहे और सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर के पक्ष में फ़ैसला देने के बाद लकड़ी के अस्थाई मंदिर में रह रहे हैं. ऐसे में मंदिर निर्माण किस तरह चल रहा है, मंदिर निर्माण में क्या ख़ास है और कैसा होगा रामलला का भव्य मंदिर (Ram Mandir), इसकी पड़ताल के लिए एबीपी न्यूज़ ने अयोध्या में मंदिर निर्माण का जायज़ा लिया.
राम जन्मभूमि स्थल (Ram Janmabhoomi) पर चल रहे निर्माण में गर्भगृह वाले हिस्से पर एक लाल झंडा लगा है, जिसे धर्म ध्वजा कहा जाता है. जहां धर्म ध्वजा लगी है, उसी जगह भगवान राम का जन्म स्थल माना जाता है. ठीक इसी जगह रामलला की मूर्ति स्थापित की जाएगी. यहां गुलाबी पत्थरों से गर्भ गृह का निर्माण चल रहा है. इन पत्थरों पर पहले से नक्काशी की गई है. गर्भ गृह के अंदर के हिस्से में सफ़ेद संगमरमर लगाया जाएगा वहीं बाहरी हिस्सा गुलाबी दिखाई देगा.
गुलाबी पत्थरों से बन रहा है मंदिर
रामलला का मंदिर गुलाबी पत्थरों से बन रहा है. ये गुलाबी पत्थर राजस्थान के बंसी पहाड़पुर क्षेत्र से लाए जा रहे हैं. इन पत्थरों पर नक्काशी करके इन्हें खूबसूरत बनाने के साथ-साथ इन्हें लगाने का काम 1 जून से शुरू हो गया है. मंदिर निर्माण समिति ने फैसला किया है कि पहले ग्राउंड फ्लोर पर गर्भ गृह और मंडप बनाने का काम किया जाएगा. चूंकि मंदिर 3 फ्लोर का बनेगा, ऐसे में पहले चरण का काम दिसंबर 2023 तक पूरा करके रामलला को उनके स्थाई घर में रहने की व्यवस्था के बाद अगले चरण का काम शुरू किया जाएगा.
मंदिर में 5 मंडप होंगे
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 9 नवंबर 2020 को राम मंदिर के पक्ष में फ़ैसला दिया. इसके बाद 5 अगस्त 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया. मंदिर के नए मॉडल के मुताबिक मंदिर में 5 मंडप होंगे. मंदिर की ऊंचाई 161 फुट, चौड़ाई 255 फुट और लम्बाई 350 फुट होगी. मंदिर ज़मीन से 5 मीटर की ऊंचाई पर बन रहा है. इस 3 फ्लोर के मंदिर में फ़िलहाल ग्राउंड फ्लोर पर सबसे पहले गर्भ गृह का काम चल रहा है.
मंदिर में लोहे का इस्तेमाल नहीं
भगवान राम के मंदिर की ख़ास बात यह है कि मंदिर की उम्र 1000 साल की हो, इसके प्रबंध किए जा रहे हैं. मंदिर की नींव पर पहले मिट्टी डाल कर उसे दबाया गया. उसके ऊपर ग्रेनाइट पत्थर लगाकर प्लिंथ बनाया गया है. इस ग्रेनाइट पत्थर के ऊपर सफ़ेद संगमरमर लगाया जाएगा. मंदिर में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. लोहे की उम्र 90 से 100 साल तक मानी जाती है, इसलिए पत्थरों को जोड़ने के लिए सीमेंट और तांबे के क्लैम्प लगाए जा रहे हैं. मंदिर निर्माण आईआईटी के सुझाव पर हो रहा है, ताकि मंदिर की मज़बूती ज़्यादा से ज़्यादा हो सके.
सरयू के पास स्थित राम जन्मभूमि परिसर पर निर्माण से पहले मज़बूती के लिए सबसे पहले सॉइल टेस्ट यानी मिट्टी का परीक्षण कराया गया. मिट्टी की मज़बूती मापने के बाद नींव तैयार करने का काम किया गया. नींव में मिट्टी भरने के बाद उसपर ग्रेनाइट के पत्थर बिछाए गए हैं. ये ग्रेनाइट पत्थर कितने भारी हैं, इसका अंदाज़ा इससे लगाइए कि एक पत्थर ढाई से 3 टन का है. इतने भारी ग्रेनाइट का बेस बनाने के बाद उसके ऊपर गुलाबी पत्थर से मंदिर बनाया जा रहा है.
अयोध्या में 500 सालों से चला आ रहा राम जन्मभूमि का विवाद सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की वजह से 9 नवंबर 2020 को ख़त्म हुआ और फ़ैसला राममंदिर के पक्ष में आया. इसके बाद 5 अगस्त 2021 को पीएम मोदी ने मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया, तभी से निर्माण कार्य चल रहा है. शुरुआत प्लिंथ से की गई. प्लिंथ का काम पूरा होने के बाद 1 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने मंदिर का पहला गुलाबी पत्थर रखकर गर्भ गृह का काम शुरू कराया. पहले चरण में गर्भ गृह बनने के बाद रामलला को उनके घर में बसाने के बाद दूसरे चरण के तहत सेकेंड फ्लोर और मंदिर के शिखर का काम शुरू किया जाएगा.
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