(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Ahmedabad Serial Blast: 22 विस्फोटों से दहल उठा था अहमदाबाद, 70 मिनट के उस खौफनाक मंजर की पूरी कहानी
Ahmedabad Blast: धमाके से 5 मिनट पहले आतंकियो ने न्यूज एजेंसियों को मेल करके यह धमाके रोकने की चुनौती भी दी थी.
Ahmedabad Serial Blast 2008: 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में सब कुछ रोज की तरह चल रहा था. बाजारों में रौनक थी लेकिन तभी शाम 6 बजकर 45 मिनट पर मणिनगर के एक भीड़ भरे बाजार में अचानक एक धमाका होता है. उसके बाद 70 मिनट के अंदर अहमदाबाद के भीड़-भाड़ वाले इलाकों में कुल 21 और धमाके होते हैं. जिससे पूरा शहर दहल जाता है.
सरकारी आंकड़ो के मुताबिक इन धमाकों से 56 लोगों की जीवन लीला समाप्त हुई थी और 200 से भी ज्यादा लोग घायल हो गये थे. इंडियन मुजाहिद्दीन ने दावा किया था कि वह यह धमाका 2002 में गोधरा कांड का बदला लेने के लिये कर रहे थे. यहां आपको बता दें उस समय मणिनगर तात्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का विधानसभा क्षेत्र था. पुलिस ने मणिनगर से दो जिंदा बम बरामद किये गये थे तो वहीं मणिनगर में कुल तीन जगहों पर धमाके हुये थे.
अस्पतालों में भी किये थे आतंकियों ने दो धमाके
कुल 21 धमाकों में दो सिविल अस्पताल और एलजी अस्पताल में हुये थे. गौरतलब है कि अस्पतालों में बम ब्लॉस्ट से घायल हुये लोगों को भर्ती किया जा रहा था. यह धमाके आतंकियों ने टिफिन को साइकल में रखकर किया था. इन धमाकों में इंडियन मुजाहिद्दीन (IM) और स्टुडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े आतंकी शामिल थे. धमाके से 5 मिनट पहले आतंकियों ने न्यूज एजेंसियों को मेल करके यह धमाके रोकने की चुनौती भी दी थी.
इस मामले पर कुल 35 प्राथमिकी दर्ज की गईं थी. जिनमें से 20 अहमदाबाद में तो 15 सूरत में दर्ज की गईं थी. अदालत द्वारा इन सभी एफआईआर को एक में मिलाने के बाद मुकदमा दर्ज कराया गया था. कुल 78 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर की गई थी जिनमें से बाद में एक आरोपी सरकारी गवाह बन गया तो यह संख्या घटकर 77 हो गई. इस मामले में लगभग 9 आरोपी अब भी फरार हैं.
फिर क्यों चर्चा में आया है मामला
दरअसल आज यानी शुक्रवार को गुजरात के अहमदाबाद (Ahmedabad) में हुए सीरियल बम धमाकों (Bomb Blast) के मामले में दोषियों को सजा सुना दी गई है. विशेष न्यायाधीश एआर पटेल की अदालत ने 49 अभियुक्तों में से 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई है.
इन 38 दोषियों को IPC 302, UAPA के तहत फांसी दी गई. ये फैसला एक रिकॉर्ड है क्योंकि अभी तक एक साथ इतने लोगों को कभी फांसी की सजा नहीं सुनाई गई है. बाकी 11 दोषियों को उम्र कैद की सजा मिली है. अदालत ने कहा है कि ये 11 दोषी जब तक जीवित हैं, जेल में ही रहेंगे.
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