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पिछड़ा वर्ग आयोग ने सरकार से जनगणना में OBC कैटेगिरी का डेटा शामिल करने का अनुरोध किया
OBC स्टेटस के बारे में आंकडें एकत्रित करना बेहद आवश्यक और सभी के लिए फायदेमंद है. ऐसे में NCBC ने सामाजिक न्याय मंत्रालय से सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका का बचाव करने का आग्रह किया है.
![पिछड़ा वर्ग आयोग ने सरकार से जनगणना में OBC कैटेगिरी का डेटा शामिल करने का अनुरोध किया The Backward Classes Commission urged the government to include the data of the OBC category in the census. पिछड़ा वर्ग आयोग ने सरकार से जनगणना में OBC कैटेगिरी का डेटा शामिल करने का अनुरोध किया](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/03/21012440/Maharashtra-Corona.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय से आग्रह किया है कि ‘भारत की जनगणना 2021’ में देश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की जनसंख्या पर डेटा एकत्र किया जाए.
जातिगत आंकड़ें सभी के लिए फायदेमंद
एनसीबीसी सचिव आनंद कुमार ने गुरुवार को सामाजिक न्याय मंत्रालय के सचिव को इस संबंध में पत्र लिखा है. हालांकि इस मामले में एक मल्लेश यादव द्वारा दायर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पहले से ही लंबित है. इस याचिका में कहा गया है कि जनगणना 2021 के लिए जो फॉर्मेट दिया गया है, उसमें धर्म, एससी/एसटी स्टेटस के संबंध में कॉलम है, लेकिन ओबीसी स्टेट्स के बारे में कोई कॉलम नहीं है. ओबीसी स्टेटस के बारे में आंकडें एकत्रित करना बेहद जरूरी और सभी के लिए लाभदायक है. ऐसे में NCBC ने सामाजिक न्याय मंत्रालय से सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका का बचाव करने का आग्रह किया है.
मोदी सरकार ने दिया था NCBC को संवैधानिक दर्जा
NCBC ने हाल ही में आयोग की बैठक में इस मामले पर विचार किया था और सर्वसम्मति से ओबीसी जनगणना के आंकड़े एकत्रित किए जाने के पक्ष में रहने का निर्णय लिया था. नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में NCBC को संवैधानिक दर्जा दिया था. कमजोर वर्गों को आरक्षण का लाभ देने के लिए OBC कैटेगिरी को उप-वर्गीकृत किया जाना है. इसी के मद्देनज़र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी रोहिणी की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया है. ओबीसी के तहत वर्गीकृत विभिन्न समुदायों पर आंकड़ें उपलब्ध न होने के कारण रोहिणी आयोग को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
इस साल किया जाना है जनगणना का कार्य
देश में जातिगत आधार पर जनगणना की मांग पिछले काफी समय से की जा रही है. वैसे तो भारत में जनगणना कार्य की शुरुआत पिछले साल ही हो जानी थी, लेकिन कोरोना संकट के चलते ये कार्य कुछ समय के लिए टालना पड़ा. अब जनगणना का काम इसी साल किया जाना है. ऐसे में जातिगत आधारित जनगणना की मांग जोर पकड़ती दिखाई दे रही है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित कई नेता पहले ही जातिगत आधार पर जनगणना का समर्थन कर चुके हैं.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
Opinion: 'आस्था, भावुकता और चेतना शून्य...', आखिर भारत में ही क्यों होती सबसे ज्यादा भगदड़ की घटनाएं
Opinion